वर्दी की क़सम को हर हाल निभाना है,
फ़र्ज़ और ईमान का परचम लहराना है।
शान्ति और अहिंसा की हर राह दिखाना है,
सीमा के शत्रु आतंकियों को मार भगाना है।
है धर्म हमारी वर्दी!
है कर्म हमारी वर्दी!
कोई दाग ना इसपर आये,
यह धर्म निभाना है।
हम हैं भारत के रक्षक ,
यह कर्म निभाना है।
मुक्तेश्वर मुकेश