तू लाख छुपाए चाहे,
पर छुपती कहां सच्चाई है
जागते हो तुम भी रात भर
मेरी यादों के हसीं साए में।
तेरी नींद से बोझिल ये पलकें
करती हैं तेरी- मेरी मुहब्बत के
हसीन अनकहे अफसाने बयां।
तेरी आंखों के ये गीले कोर
गवाह है कि रोएं हो तुम भी
रात भर हमारी याद में।।
सरोज ✍️