मैनें कोरे काग़जपर तेरा नाम लिखा।
बाकी कुछ न लिखा,नाम में मेरा ख्वाब दिखा।
और कुछ लिखता अफ़साने लिखने पडते थे।
तेरे नहीं मिलने के सौ-सौ बहाने लिखने पडते थे।
फिर मेरी भी कुछ रुदाली पेश होती थी।
तेरी शिक़ायत की लिस्ट लंबी होती थी।
मेरा भी अभी कुछ कहना बाकी है।
तुझसे मिलन आस बाकी है।
कैसे बयान करु दिलका हाल इन चंद लफ्जों में।
ख्वाब ही सही कुछ और देर रुक जा इस मंजर पर।