छोटी सी चिड़ियाँ ,फुदकने लगी अँगना
अँगना में मैना ,लड़ा बैठी नैना।
सुधबुध खो बैठी ,नीन्द ना आवे रैना।
क्या खाना ,क्या सोना,
क्या हँसना ,क्या रोना,
चारों तरफ ढूँढती फिरे पाने को चैना।
ना उम्र ना समवय ,ना दोस्त ना संगवय,
प्यार की डोर में ,शाम और भोर में
बंध गयी तन्मय ,उम्र से नहीं विस्मय।
किसी से अब दोनों ज़रा भी डरे ना।
छोटी सी चिड़ियाँ ,फुदकने लगी अँगना।
✍🏽मुक्तेश्वर मुकेश