ऊ ने तो इतिहास बना दओ,
पिछलो बरस गुजर गओ।
ट्वन्टी-ट्वन्टी है जो आओ,
उम्मीदों से भर गओ।।
अटके-लटके काम निपट गये ,
नोंनों-नोनों हो गओ।
रामचंद्र को मंदिर सज रओ,
लगो अड़ंगो हट गओ।।
कटे-फटे टेंटन में उनने,
बरसों-बरस बिता दओ।
कलयुग खें भी मर्यादा को,
अपनो पाठ पढ़ा दओ।।
सालों से लटको थो मसलो,
चुटकी में हल हो गओ।
भारत को वो साल थो ऐसा,
भारी संकट हट गओ।।
बलवा करवे वाले भग गए,
पाक आतंकी छट गए।
कश्मीर को मसला निपटो,
तीन सौ सत्तर हट गओ।।
सारे जग में भई बडा़ई ,
कसम सें नोंनो हो गओ।
दृढ़ इच्छा शक्ति से भैया,
उलझो काम सुलझ गओ।
अबला नारी सबला हो गई,
शोषण सें अब बच गईं।
बेचारों की किस्मत चमकीं,
तीन तलाक भी हट गओ।।
जीएसटी से भरो खजानों,
कालो धन भी रुक गओ।
जमाखोर भ्रष्टाचारन के,
मुख में कालख पुत गओ।।
इसरो ने भी झंडा गाडो़
जग में अब्बल हो गओ।
बड़े बड़े देशन से भैया,
उनखों काम है मिल गओ।।
अंत भलो तो होत भलो है,
सबरे ज्ञानी कह गए।
आवे वाले बरस में भैया,
शुभ संकेत है मिल गओ।।
सभी जनों को देत बधाई,
हिलमिल खें सब रहियो।
देश खें ऊँचो करवे खातिर,
अपनी जान लगइयो।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "