🌹🌹ગીતા જયંતીના વધામણા 🌹🌹
"મારા મતે ગીતાનો એક જ સાર
કર્મ કરીને ભવસાગર કરીલે પાર"
મેં આખી ગીતા તો નથી વાંચી. થોડા ઘણા અધ્યાય વાંચ્યા છે એ પણ વચ્ચે વચ્ચેથી. એ બધા માં જ મારા માધવ પાર્થ ને કર્મ કરવા જ સમજાવતા દેખાય છે.
" If u don't fight for
What u want,
Then don't cry for
what u lost."
મને ગમતાં થોડા શ્લોક અહીં મૂકું છું..
અધ્યાય - 3
1) नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः।
शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्धयेदकर्मणः।।8।।
तू शास्त्रविहित कर्तव्य कर्म कर, क्योंकि कर्म न करने की अपेक्षा कर्म करना श्रेष्ठ है तथा कर्म न करने से तेरा शरीर निर्वाह भी सिद्ध नहीं होगा |(8)
2) न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन।
नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि।।22।।
हे अर्जुन ! मुझे इन तीनों लोकों में न तो कुछ कर्तव्य है न ही कोई भी प्राप्त करने योग्य वस्तु अप्राप्त है, तो भी मैं कर्म में ही बरतता हूँ |(22)
3) कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकमज़्णि॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 47)
इस श्लोक का अर्थ है: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फलों में कभी नहीं... इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो और न ही काम करने में तुम्हारी आसक्ति हो। (यह श्रीमद्भवद्गीता के सर्वाधिक महत्वपूर्ण श्लोकों में से एक है, जो कर्मयोग दर्शन का मूल आधार है।)
- કુંજદીપ ના જયશ્રી રાધા કૃષ્ણ સૌને. 🌹