मौलिक जीवन — प्रसिद्धि से परे ✧
✍🏻 — 🙏🌸 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲
1️⃣ जब मृत्यु सिर पर खड़ी हो, तब झूठ बोलना असंभव हो जाता है।
2️⃣ बंदूक के सामने मन नहीं बोलता, सत्य बोलता है।
3️⃣ और सत्य यही कहता है — “मैं जीना चाहता हूँ।”
4️⃣ पर यह जीवन कौन-सा है — शरीर का या चेतना का?
5️⃣ शरीर बोले तो जीवन रोटी माँगेगा।
6️⃣ मन बोले तो जीवन सुविधा माँगेगा।
7️⃣ और जब अहंकार बोले — वह प्रसिद्धि माँगेगा।
8️⃣ प्रसिद्धि के लिए वह जीवन भी बेच देगा।
9️⃣ प्रसिद्धि मालिकियत का भ्रम देती है।
🔟 पर सत्य यह है — कोई मालिक कभी हुआ ही नहीं।
11️⃣ जो मौलिक है, वही स्वामी है।
12️⃣ मौलिक जीवन वह है जो किसी तुलना से नहीं चलता।
13️⃣ जो मौलिक है, वह किसी भीड़ में खड़ा नहीं होता — वह शून्य में खिलता है।
14️⃣ प्रसिद्धि भीड़ की आँखों से देखी जाती है; मौलिकता मौन की आँखों से।
15️⃣ प्रसिद्ध व्यक्ति अपने नाम का गुलाम है।
16️⃣ मौलिक व्यक्ति अपने जीवन का मालिक है।
17️⃣ प्रसिद्धि “दिखाने” से आती है; मौलिकता “होने” से।
18️⃣ प्रसिद्धि चाहने वाला संसार को जीतना चाहता है।
19️⃣ मौलिक जीवन वह है — जो स्वयं से जीत चुका है।
20️⃣ जहाँ मौलिकता जन्म लेती है, वहाँ ब्रह्मांड झुक जाता है।
21️⃣ तब प्रसिद्धि पीछे-पीछे चलती है — जैसे छाया सूर्य के साथ।