भोले भाले बच्चे (बाल कविता) मन के भोले भाले बच्चे मन के सीधे-साधे बच्चे पल में रुठे पल में मनते छल नहीं कभी मन में रखते मन के भोले भाले बच्चे।। सदा हंसते मुस्कुराते बच्चे जग में खुशियां फैलाते बच्चे दुख को दूर भगाते बच्चे झोली खुशियों से भर जाते बच्चे मन के भोले भाले बच्चे।। रस से मीठी इनकी बातें नींबू जैसी खट्टी इनकी घाते धमा चौकड़ी सदा मचाते आवाज से करते हरदम बातें मन के भोले भाले बच्चे।।
सरोज ✍️✍️