दिल से घुरूर हु , एक नाकाम सुरूर हु ।
बिना वॉट के भी लड़ता हु , में एक जिंदा फ़क़ीर हु।
किस ने न समजा न जाना , में आम जनता सा हु।
सुना था तो कोई परेज़ न था,अनसुना कर दिया सवाल हु ।
सबकी निगाहों से हो कर भी,में एक अनदेखा ख्वाब हु।
असलियत चहेरे से क्या करेगा कोई बयान किसीकी भी ,
बाहर से न दिखा सकू दाग ,में एक ऐशा बेदाग हु ।
आलोचना पा कर तो हर कोई आगे निकल सकता है ,
तारीफों के बीच मे से निकाला गया ,में एक श्मशान हु ।
असमंजस सा कुछ भी नही अंदर से साफसुथरा है ,
"ह्रदय" से लगाकर चलता ,में एक सुखद मिलाप हु ।
"हृदय"