साचा साहिबु साचु नाइ। भाखिआ भाउ अपारू।
आखहि मंगहि देहि देहि। दाति करे दातारू।।
( गुरु नानक देव जी ने इस दोहे के माध्यम से कहना चाहा है कि प्रभु सत्य एवं उसका नाम सत्य है। अलग-अलग विचारों, भावों तथा बोलियों में उसे भिन्न-भिन्न नाम दिये गये हैं। प्रत्येक जीव उसके दया की भीख मांगता है तथा सब जीव उसकी कृपा के अधिकारी हैं। और प्रभु भी जीव पर उसके कर्मों के मुताबिक ही अपनी दया प्रदान करता है। )
सिख धर्म के संस्थापक व प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी की समाज से अन्याय एवं असमानता को मिटाने के प्रयास की प्रतिबद्धता अद्वितीय थी। उनके सेवा, करुणा और सद्भाव के संदेश समाज को अनंतकाल तक प्रेरित करते रहेंगे।
#पावन_कार्तिक_पूर्णिमा एवं गुरु नानक देव जी के 550 वें प्रकाश उत्सव पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
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