चित्र - लेखन
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वाहा! क्या बात है,
बड़ा मनोहर दृश्य हैं
चारों ओर हरियाली हैं,
इन के मध्य खड़ा हुआ हैं,
इसको कहते सब किसान हैं
इसकी छवि की,
कही नही मिशाल है ,
हाल भले ही बेहाल हो,
फिर भी चेहरे पर मुस्कान हैं,
देखो कैसा अनूठा ये इंसान हैं
कपड़े भले ही हो फटे,
फिर भी हर हाल में खुशहाल हैं,
अपने मातृ - भूमि की ये ही तो शान हैं,
कितना सीधा कितना सरल देखों ये इंसान है,
मेहनत से कभी नहीं घबराता कहते इसको किसान हैं।
उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित