हमने ना बनाइ है , रिस्तों की सरहदे जिंदगी में कभी ,
ओर गुजर गए बेनाम ,महेफुस रहते अहेसास दिल मे;
क्युं टुटकर चाहा पतंगे ने ,फितरत में अपनी कुरबानी
जलते रहे ,जलाते रहे, शम्मा एदिल अहेसास दिल मे ;
बदसुरत है शायद अंदाज़ ए महोबत, फकत लफ्ज़ में ,
या हयाति नही ,जजबात उभरते हुए अहेसास दिल में ;
खैर ,अपनी ओकात नही, जीस्मी जहाँ की हकीकत मे,
हक़ से खेलती हकीकी में ,हर हाल वो अहेसास दिल में;
बेखुदी में जी रहे हैं, खूदकी हयाति से परे कहीं निगाहें,
आनंद इश्क में दारोमदार यकीनन, अहेसास दिल में;