चले आते है रास्ते मंजी़ल की तरफ,
और बरतरफ मै,बेमंझील की तरफ
गुजरती हर सॉस मै यकीनन तुम ही
और रुह चल पडी है ,हकीकी तरफ
खामोश निगाहें ,राहे गुजरती हरतरफ
और मन मंझील से ,मुडता हर तरफ
सोच समज़दारी से परे ,पहेचान मेरी
निगाहें करम मेरा, सदा हकीकी तरफ
बे-नाम जीया हु, गुम नामी की तरफ
नाम ए वफा , हुस्न से क्युं बरतरफ
डुब रही है कस्ती, मॉझी मज़धार मैं
क्यु चला जा रहा, किनारे की तरफ
होश कहॉ है ?तलाश बेहोशी की तरफ
चलते रहे कदम मेरे , हयाती की तरफ
नूर का अलम, नूर ए नज़र दुनिया सारी