ये शराब की तरह हो तुम
शाम जभी मिलते हो नशा
अपने आप हो ही जाता है
अगर तु छु भी ले तो जिस्म
डगमगा जाता है
अपने आप
देख भी लो हमे तिरछी नजर से तो भी
नशे मे रही जाती
अपने आप
हाथ से गलाश पकड़ ने की जरूरत ही नही होती
तु ही पीला देते हो होठों से
अपने आप
हर शाम ऐसे ही रुक जाया करना तु अपने आप