दस्तक देती रहेती, हरकतें उनकी दिलसे
खामोश रहकर , बयाँ कर जाती दिल से
रुसवाई का हुनर, अज़ब गज़ब पाया है
मनाही बखुबी निभाती , दिल्लगी दिल से
मिल जाये मंजिले-मक्सूद चाहत है उनकी
राहे वफा गुज़रती है, सुबहे शाम दिल से
मुस्तेद रहेती साँसें,गुनगुनाती तराना ए दिल
यादों की तस्बी में, गुज़रती है बस दिल से
ज़मींसे आसमां तक,उडान भर लेती बखुबी
परिन्दा ए महोबत, निभाती है वोह दिल से