गांव से प्राइमरी पास करने के बाद मैंने शहर के स्कूल में दाखिला लिया। वहां सभी बच्चे मेरी बोली व सादगी का मजाक उड़ाते थे। अध्यापक भी मुझे अनदेखा करते। जब मैं उनसे कुछ पूछने के लिए उठती तो मुझे तुरंत बैठा देते। उन सबका यह व्यवहार देख मुझे बहुत दुख होता था। फिर भी मैं मन लगाकर पढ़ती रही। प्रथम सत्र के परीक्षा परिणाम में मैंने कक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया। सारी कक्षा व अध्यापक आज मुझे देख गर्वित थे और अपनी सोच पर शायद शर्मिंदा।
✍️सरोज ✍️
स्वरचित व मौलिक