कल बेटी दिवस था,
हर जगह बेटियों के प्रति सम्मान देखने को मिला सब ने अपनी भावनाये बेटियों के प्रति व्यक्त की सिर्फ कल भर के लिए....?
क्या आज और आने वाले कल के लिए हमने उस बेटी के प्रति कितनी भावनाये और सम्मान को वरकरार रखा हैं...?
क्या हमारी संस्कृति यहीं सोच रखती हैं.. इस आधुनक जीवन की सोच में सिर्फ कल के दिन ही हम उनके प्रति सम्मन दें बाकी दिनों में क्या...?
क्या आज, कल या फिर आने वाला कल बेटियों के प्रति सम्बेदनाये व्यक्त नहीं होंगी...?
दर असल हमारे रिस्ते नाते सब दिवस पर विश करने के लिए बनते जा रहें हैं...
सिर्फ मेरा कहना इतना भर हैं कि हम कहा जा रहें हैं...?
क्या आने वाले दिनों में हम सिर्फ भवनाये सिर्फ व्यक्त करके अपने इंसान होने का या इंसानियत का परिचय देंगे...?
अब वो दिन भी दूर नहीं परिवार और समाज के सारे रिस्ते नातो के नाम पर इस बाजारू कारण के खातिर दिवस बनेंगे... और वास्तविक सम्बेदनाओ का यही दिवस रहेंगे...