बहुत नाप तोल कर बोला था , अपनी ज़िन्दगी को कभी तराज़ू में रख कर तोला था । लोगो ने बहुत नाम दिए मुझे , किसी ने मुंहफट बोला तो किसी ने अच्छे संस्कार नहीं है । पर यह मेरी ज़िन्दगी है , मुझे सोचना चाहिए कि उसका क्या करना है । जब मेरे अपनो ने मुझे कुछ नहीं कहां , तो तुम समाज के कुछ एक आद ट्टू मुझे कैसे बता सकते हो कि मेरे अंदर क्या कमी है । मुझे बंध कर रहना मंज़ूर नहीं , अपनी मर्ज़ी की में खुद मालिक हूं । जब पंख दिए है तो एक लम्बी उड़ान भरने तो दो ।