नहीं बनना मुझे किसी के भी हाथ की कठपुतली , जो भी हूं जैसी भी हूं अपने में बेहतर हूं । दुनिया का क्या है पहले अपनाएगी ,जब उसके इशारे पर नहीं चली मैं फिर उठा कर गिराएगी भी वही । अपना साथ देकर बाद में ठुकराएगी भी वही । मुझे इस दुनिया का साथ नहीं, मुझे अपनी ही एक अलग पहचान बनानी है । ओरों की नज़रों में ना सही पर अपनी नज़रों में मुझे उठना है ।