आज फिर से एक वाक्या सामने आया देख कर बहुत शर्म अाई की कहा हमारे वैज्ञानिक चांद पर जाने की कोशिश कर रहे है और हम लोग कहा जात पात के फेर में पड़े है । जब भगवान ने इंसान और उनकी जात में कोई फर्क नहीं किया तो हम तो फिर भी एक तुच्छ प्राणी मात्र है । हम गणपति को अपने घर और मंदिरों में जगह देते है पर उस में कोन आएगा यह हम तय करते है । हमको यह हक किसने दिया भगवान ने नहीं , या फिर मंदिर और भगवान दोनों हमने अपने नाम करवा लिया है । लोगो की ऐसी खटिया सोच को देख कर बहुत हैरानी होती है कहां हम देश को आगे बढ़ाने की बात करते हैं और कहा हम सोच से पीछे जा रहे है ।