न जाने कहां गया वो बचपन, जहां सुबह ठंडी हवा से होती थी, अब सुबह होती है ए.सी.वाले कमरे में, पर वो बचपनवाला सुकून नहीं है, है अब सारी-सुख सुविधाएं, पर सुकून तो बचपन में ही हुआ करता था, न जाने कहां गया वो बचपन, जहां सुबह होती थी जब माता-पिता हमारे नाम से पुकारते थे और उठाते थे हमें, और अब सुबह अलार्म से होती है, हम होते रहे बड़े और ये बचपन कहीं पीछे छूटता चला गया!!