मेहसूस ये होता है ये जिन्दगी
कि तुझे मुझसे नफ़रत बहुत है
हम तो ठहरे मुसाफ़िर है
इन देखी अंदेखी गलियो के
चलते हैं तेरी मर्ज़ी से
करते हैं कुछ मनमर्जिया
लाख करले जतन
चाहें लेले इन्तहान हज़ार
तेरी लाख ठोकर खाकर भी
कहते हैं मुसाफ़िर हर बार
ये जिंदगी तुझसे इश्क है बेसुमार
- Rj krishna