रतिया जो गुजारी पिया तोहरे याद में
सावन की बरसात में, ना
तू गइला भुलाई, मन जाला खिसायाई
हमरे सगरी जवानी, तोहरे बिनि बीति जाई
कहिया अइबा बिरहिया की रात में
सावन की बरसात में, ना
राति बोले रे पपीहा, मन में उठे रे हिलोरा
तोहसे प्यार करै खातिर मन खाला हिचकोला
मन के सरधा पूराइब दिन रात में
सावन की बरसात में, ना
अब त आइजा सँवरिया, मन होला बहु बँवरिया
तोहरे बिरह में जरीं, अब ना कटै दिन रतिया
मरी जाइब तोहरे बिरह की आग में
सावन की बरसात में, ना