बहुत याद आती है तुम्हारी....
उस वक्त जब हम कभी साथ हुआ करते थे,
बातों ही बातों मे कब शाम हो जाती
कब चाँद निकल आता पता ही न था,,
अपनी तो भूल गए है पर उन पलो की बातें
बहुत याद आती है तुम्हारी....
पर शाम अकेले मे आदत हो गयी है
तुम्हे देखने की उस तस्वीर में
जो तुमने ही कभी हमे दिया था
अपने उस किताब से निकालकर,
तुम तो शायद भूल गए होगे हमे
पर हमें तो
बहुत याद आती है तुम्हारी....
एक बहुत पुराना खत मिला मुझे
उसी तस्वीर के पीछे
जो तस्वीर तुमने मुझे दिया था,
तुम्हारी सभी बातें मैने पढे
आँसू आ गये आखों में
उसके बाद तो और भी
बहुत याद आती है तुम्हारी....