❤❤Love ❤❤
प्रेम कभी भी किसी को भी कहीं भी हो सकता है..ये मन से मन मिल जाने की बात है. प्रेम जब हो रहा होता है तो उस वक़्त मन किसी का पति/पत्नी नहीं होता. वो सिर्फ़ एक आत्मा होता है जिसे किसी दूसरे आत्मा की तरफ़ खिंचाव महसूस हो रहा होता है..
हम भारतीय जो ये सोचते हैं कि जिससे शादी हो गया प्रेम भी उसी से हो ही जाएगा. ये सोच सिरे से ग़लत है. कुछ केस में हो भी जाता होगा मगर अधिकांश में वो सामंजस्य बिठाना होता है प्रेम नहीं..
ऊपर से अपना समाज ऐसा है कि शादी के बाद बच्चें हो गये मतलब मुहर लग गया कि अब तो प्रेम हो ही चुका है मगर वो सेक्स हुआ रहता है, प्रेम नहीं..
लेकिन सभ्यता-संस्कृति के नाम पर, सामाजिक संरचना को बनाए रखने के लिए और सो कॉल्ड इज़्ज़त को बचाए रखने के लिए लोग ढो रहें होते हैं रिश्ते को....