तुमने तो बस एक छोटी सी बात का बतंगड़ बना दिया , सारी गलतियों का गुनहगार हमको बना दिया । जो कहना था हमसे कहते , गैरो मैं जाकर हमारा जनाजा क्यो उठा दिया । एक बार कहते तो सही हम अपने आप ही पाओ खींच लेते तभी , यू बिने बात के सपने दिखाए भी क्यो ?। जाना ही था तो पहले ही चले जाते यू धोखे से पास बुलाया ही क्यो ? ।