happy father's day
हर कभी आँखों से बरसना...
पापा ! ये तो ठीक नहीं।
हमें छोड़ तारों में विचरना....
ये तो अच्छी सीख नहीं।
आँसू बनकर बरस पड़े तुम..!
खारी हो गई बरसातें ।
नींद मेरी आवारा हो गई...
लम्बी हो गई हैं रातें।
जुबां मेरी अब मौन हो गई..
मुँह से निकलती चीख नहीं ।
हर कभी आँखों से बरसना..
पापा ! ये तो ठीक नहीं।
मुझे देखना आसमान से..
मैं तुम्हारी परछांई हूँ !
धन्य कहूँ में खुद को सबसे..
ऐसा पिता जो पाईं हूँ।
वृद्ध अवस्था में भी मेहनत..!
माँगी किसी से भीख नहीं।
हर कभी आँखों से बरसना..
पापा! ये तो ठीक नहीं।
मेरा-तेरा करते रहे सब..
फिर भी उन्हें नहीं छोड़ा ।
अपने लिए, रखा नहीं कुछ भी...
बाँट दिया थोड़ा -थोड़ा।
हम सबको फूलों सा पाला...
आने दी कभी छींक नहीं ।
हर कभी आँखों से बरसना..
पापा ! ये तो ठीक नहीं।
फिर से सिर पर हाँथ रखो ना..
हर संकट टल जाएगा।
फिर गोद में सिर को रख दूँ..
वो दिन , फिर कब आएगा ?
हमें सुलाकर जागते थे तुम...!
चिंता होने दी कभी, लीक नहीं ।
हर कभी आँखों से बरसना..
पापा ! ये तोज्ञ ठीक नहीं।
सीमा शिवहरे 'सुमन'