#KAVYOTSAV -2
प्रेम विश्वास का ...
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प्रेम ने कब भाषा का लिबास पहना हैं,
इसने तो बस मन का गहना पहना है ।
कभी तकरार कहाँ हुई इसकी बोलियों से,
कहता है कह लो जिसको जो भी कहना है ।
लाख दूरियाँ वक्त ले आये परवाह नहीं,
हमको तो एक दूसरे के दिल में रहना है ।
दिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी,
हकीकत की धरा पर इसको तो बहना है ।
शिकायतों की चिट्ठी भी हँस के बाँचता,
प्रेम विश्वास का सदा अनुपम गहना है ।