Escape
Part 2

हम-साए की झलक तुझमें ,
तेरे पास बैठ कर ढूंढते थे ।

तेरे हाथों में हाथ रख कर भी
तेरा साथ ढूंढते थे ।

अब महसूस नहीं होती मुझको
मेरे रास्तों के विराम ;
किसी मंज़िल की ।

चखा है जबसे खुद की एहमियत का स्वाद ,
शराबी सा लुफ्त यूँ शायर बने उठा रहे है ।

English Poem by Khushboo Kumari : 111162645
New bites

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