Escape
Part 2
हम-साए की झलक तुझमें ,
तेरे पास बैठ कर ढूंढते थे ।
तेरे हाथों में हाथ रख कर भी
तेरा साथ ढूंढते थे ।
अब महसूस नहीं होती मुझको
मेरे रास्तों के विराम ;
किसी मंज़िल की ।
चखा है जबसे खुद की एहमियत का स्वाद ,
शराबी सा लुफ्त यूँ शायर बने उठा रहे है ।