एक आजादी मुझे भी चाहिए, रास्ते में घूरती सड़कछाप नजरों से, मेरी हर बात से मेरा चरित्र चित्रण करने वाले उन सभी सलाहकारों से, बेहद प्यार के नाम पर मुझे रीति रिवाजों में उलझाए रखनेवाले उन सभी रिश्तों से। एक आज़ादी मुझे भी चाहिए़, नारी_ धर्म के नाम पर हमेशा गुलाम बने रहने से।
- Sarika Sangani