मैं तिरंगा-भारत की शान ...!!
मैं तिरंगा, ना सिर्फ कपड़े का ध्वज हूॅं,
मैं वो सांस, जो आज़ादी की शान हूॅं।
मैं कभी लहराता नहीं, मैं तो गाता हूॅं,
हर वीर और उनकी माॅं की प्रेमगाथा।
रणभूमि की पुकार है मेरी केसरी शान,
गांधी की है विचारधारा श्वेत सुंदर जान,
खेतों में छाई हरी-भरी हरियाली मुस्कान,
केसरी, श्वेत और हरा रंग मेरी ये पहचान।
मैं तिरंगा, कभी मैं ना झुकता, ना रूकता,
हर दिल में धड़कता, हर आखॅं में चमकता,
भारत की हूॅं मैं शान से भरी जान।
मैंने देखें है वीर को मातृभूमि पर देते जान,
'जयहिंद' के नारे में पटक देते रस्सी में प्राण।
मैंने सूनी थी बापू के वचन की ये मौन चाल,
जिससे हिल गई गोरी हुकूमत ऐसी थी जाल।
नेताजी की वो 'खून दो, आजादी लो' गर्जना,
आजाद, सावरकर की आजादी की भावना।
हर दिल की धड़कन बनी हुई थी ये संवेदना,
मेरे रंगों में वो आग की जलती है विभावना।
मैं तिरंगा, मैं कभी ना झुकता, ना रूकता,
हर दिल में धड़कता, हर आखॅं में चमकता,
भारत की हूॅं मैं शान से भरी जान।
पाठशाला की प्रार्थना के लय में सदा गूॅंजता,
सैनिक की वर्दी में सदा शान से मैं लहराता।
किसान के खेतों की हरी फसल में महकता,
शायर कलम से सरकती शायरी में मैं बहता।
मैं तिरंगा, मैं कभी ना झुकता, ना रूकता,
हर दिल में धड़कता, हर आखॅं में चमकता,
भारत की हूॅं मैं शान से भरी जान।
रंग लेता है जब कोई बच्चा मुझे कागज पर,
मैं ढल जाता हूॅं उनके सपनों के आकार पर।
मुझे ओढ़ती जब कोई माॅं तिरंगे के रंगों में,
मैं बस जाता हूॅं उनकी ममता की धड़कन में।
'मृदु' की शब्द सरिता में मैं तिरंगा सरजाया,
ना सिर्फ इतिहास, भारत की आत्मा बताया।
झूटो नहीं, रूको नहीं, मेरे रंग में खेला करो,
मुझे थाम लो, खुद को उजाले में ले चलो।
मैं तिरंगा, मैं कभी ना झुकता, ना रूकता,
हर दिल में धड़कता, हर आखॅं में चमकता,
भारत की हूॅं मैं शान से भरी जान।
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Mahendra Amin 'mrudu'
Florida (USA)
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08/14/2025, Tuesday at 15:54