गधे को हमने घोड़ा समझा
समझने लगे तो हमें पागल समझा
यूंही हम दुनिया में भटकते रहे
भटकनें वालों को दिवाना समझा
यह किस्सा न पुराना है न नया है
हर वक्त दुनिया ने ऐसा समझा
जब हमें पता चला तो देरी हो गई थी
श्मशान से हमने दुनिया को समझा
आख़िर वक्त आता है हर किसी का
फिर भी दुनिया ने इन्सान को न समझा।
- कौशिक दवे
- Kaushik Dave