जिंदगी के मिजाज को लूटना है आज
कुछ नए अंदाज में झूमना है आज
प्रकृति की गोद में घूमना है आज
कुछ ठहराव लाना है आज
यूंही चलते चलते देख लिया पीछे आज
बचपन के कोने में बैठी थी मायूस इच्छाएं
बोल पड़ी अचानक से वो
कब तक जिएगी दूसरों के लिए
कभी खुद के लिए तो जी
तब दिल में कुछ स्पंदन सा हुआ
होठों पे आई हल्की सी मुस्कराहट आज
भागी में आयने के सामने
सोच पे पड़ी कैसे करूं सिंगार
खो गई जैसे पाखर में आई वसंत
फिर से मचल गई आज
नदी के प्रवाह में बहना है आज
बरगद की डाल पर झूला झूलना है आज
फूलों की बरसा में भीगना है आज
इंद्रधनुष के रंगों में रंग जाना है आज
हवा की लहरों में उड़ना है आज
पंछियों के कलरव में गाने हैं गीत आज
जीवन के मिजाज का आनंद लेते बढ़ना है आगे आज
- Shree...Ripal Vyas