कहते हैं फूल सी कोमल होती हैं बेटियाँ,
माँ का अरमान, पिता का सम्मान होती हैं बेटियाँ,,
करके कन्यादान, निभाने को धर्म एक दिन ,
फिर यूँही छोड़ दी जाती हैं बेटियाँ ,,,
एक घर में जन्म लेके लक्ष्मी कहलाती हैं बेटियाँ ,
एक दूसरे घर में रानी बन जाती हैं बेटियाँ,
खुद का एक घर न होकर भी ,
हरेक घर को स्वर्ग बना जाती हैं बेटियाँ ,,,
शादी के बाद अपने घर में करना जाकर,
शादी के बाद, कुछ अपने घर से सीखकर नहीं आई तक के सफ़र में ,
पिता, पति, बच्चों के ख्वाब बुनते-बुनते,
न जाने कब अपना स्व दफना देती हैं बेटियाँ ,,,
बेटों से अधिक पाने की चाह कभी रखती नहीं,
पति के बराबर सम्मान भी कभी न पाती हैं बेटियाँ ,
पुरुषों के इस सत्ताधारी समाज में,
विघ्न बाधा तोड़ सब, एक मुकाम पा जाती हैं बेटियाँ ,,,
हरेक बेटी को समर्पित ,,,,
- Reshu Sachan