राधा और कृष्ण की प्रीत है गहरी।
एक है सागर दूजी नदिया सुनहरी।।
सागर में मिलती हैं नदिया जाकर।
वैसे ही राधा मिलीं श्याम में आकर।
साक्षीथागोकुलऔरवृन्दावन नगरी।
राधा और कृष्ण की प्रीत है गहरी।।
प्रीत है पावन, अखंड है अमर।
मुरली है राधा ,मुरलीधर के अधर।
मोहनहैकाला,कंचनवर्णीबृजेश्वरी।
राधा और कृष्ण की प्रीत है गहरी।।
मोरमुकुट माधव के नैनो की
थी ये जादूगरी ,
अपने अस्तित्व को समेटे कृष्णा, कृष्ण मे समा रही,
संपूर्ण जगत को निश्छल प्रेम का अनोखा पाठ पढ़ा रही ।
अतुल्यअनुपम प्रेमकेहैं ये प्रहरी।
राधा और कृष्ण की प्रीत है गहरी।।
बंसी की धुन पर रास रचाया,
दुनिया को प्रेम का रहस्य समझाया,
कृष्ण है प्राण तो राधा है काया,
अद्धभुत अप्रतिमप्रेम की
छलकती है गगरी।
राधा और कृष्ण की प्रीत है गहरी।।