कुछ अजीब से थे वो दिन जब सब ठीक चलता था .......
बेफिक्री में कुछ समझ आना न मुश्किल था.......
बहुत खफा से हो गए है अब ये दिन ........
अच्छा हो या बुरा सब समझ पाना मुश्किल है......
मुंह पे हो तो अच्छा पीठ पीछे सब बुरा होता है.......
न जाने ऐसे समय में हम कैसे टिक पाएंगे.......
न जाने ऐसे दौर में हम कैसे टिक पाएंगे.......