जिंदगी तूने मुझे फिरसे रुला दिया
मोती यू गिरे आँखोंसे "
सितम ढाए कैसे , आँखे नम हो गई
खुशिया मानो खो गई कही
रिश्तों की तिज़ोरीया खाली पड़ी
हर सितम हिसाब मांगने लगा
वक़्त फिरसे जितगया हमसे "
माथे के हर लक़ीर पे जीत लिख़ने चले हम
मुक्कमल न हुआ हौसला मेरा
तूने फिर बाजी पलट दी "
हैसियत बया ही न कर सका मैं ...
मानो जैसे सब ख़तम हो गया
मैं फ़िर खड़ा हूँ जिंदगी द्वार तेरे
जीतकर आउंगा दुनिया मैने ठान लिया "