जिस भूमि के कण- कण में सदा देवता बसते हैं
जहाँ जन जन के मन में सुमन प्रेम के खिलते हैं
जिसका रूपलावण्य देख झूम जाता है तन- मन
उस पुण्य भूमि को देव भूमि उत्तराखंड कहते हैं
जहाँ बद्रीनाथ में श्री नारायण के दर्शन मिलते हैं
केदारनाथ धाम में श्रीशिवशंकर तपस्या करते हैं
जिस जगह गोमुख से अवतरित होती है माँ गंगा
उस पुण्य भूमि को देव भूमि उत्तराखंड कहते हैं
जहाँ भारत माँ के प्रहरी शिखर हिमालय रहते हैं
कस्तूरी के संग राज्य पशु कस्तूरी मृग विचरते हैं
राज्य पुष्प ब्रह्मकमल खिला शोभित होती है जो
उस पुण्य भूमि को देव भूमि उत्तराखंड कहते हैं
जहाँ पर राज्य-पक्षी मोनाल सुसज्जित रहते हैं
राज्य बृक्ष बुराँस के रक्तपुष्प मनमोहक लगते हैं
जहाँ के राज्य फल काफल हैं औषधि से पूरित
उस पुण्य भूमि को देव भूमि उत्तराखंड कहते हैं
जहाँ हरि तक जाने के द्वार हरिद्वार में मिलते हैं
माँ गङ्गा के पावन जल से पाप सभी के धुलते हैं
जिसके पावन आँचल में शांति मिलती है मन को
उस पुण्य भूमि को देव भूमि उत्तराखंड कहते
हरे पेड़ पौधे प्रकृति में सदैव मनमोहक लगते हैं
रंग -बिरंगे फूलों से घर घर में गुलशन खिलते हैं
जहाँ सौहार्द भाईचारा की भावना रहती है सबमें
उस पुण्य भूमि को देव भूमि उत्तराखंड कहते हैं
जिस देवभूमि में जीवन के सब अरमान संवरते हैं
जहाँ कण -कण के भीतर देव- दर्शन हम करते हैं
आओ नौ नवम्बर स्थापना दिवस शुभ अवसर पर
देवभूमि उत्तराखंड को करबद्ध नमन हम करते हैं
देव भूमि उत्तराखंड को.....