जल ही जीवन है ( जल नही जाना तो जल जाना)

सूखा

बीति गयल होली कै दिनवा
फागुन बीतल जाइ रहे
भगवान बचावइ सब कै जिनगी
गृष्म काल नियराइ रहे

पिछले बरस क बात सोचि के
अँखिया से पानी छलकत बा
जह तह अबहीं तालाब कुँआ में
रचि - रचि पानी झलकत बा

फिर से कुछ दिन में ओइसइ
संकट के बादल छाइ रहे
भगवान बचावइ सब कै जिनगी
गृष्म काल नियराइ रहे

ठाकुर क इनारा सूखा बा
सरजू क तलबवा बंजर जइसे
हे ईश्वर मा र जिनि पानी बिन
लगत करेजवा खंजर जइसे

सब जीव जन्तु के मृत्यू क
आरोपी तोहइ ठहराइ रहे
अब तुही बचाव सब कै जिनगी
गृष्म काल नियराइ रहे

हाथ जोरि के ज्योति पुकारत
विनती सुनि ल हे स्वामी
सूखा मति करिह तालाब कुँआ
जीवन के संवरिह हे स्वामी

खग मृग अउ मनई खातिर
हम आज तोहइ गोहराइ रहे
भगवान बचाव सब कै
जिनगी गृष्म काल नियराइ रहे

ज्योति प्रकाश राय
भदोही उत्तर प्रदेश

English Poem by Jyoti Prakash Rai : 111864788

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now