Hindi Quote in Story by Rajesh Maheshwari

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फकीर की वाणी



वह महानगर की एक चाल में रहता था। ऊँची ऊँची अट्टालिकाओं को देखकर उसका भी मन करता था कि मैं भी खूब कमाऊँ और फिर ऐसे ही किसी घर में रहूँ। उसकी चाल के पास ही एक फकीर बैठा करता था। उसने अपनी मन की बात फकीर से कही। फकीर ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा - जाओ तुम्हारी मनोकामना पूरी होगी, लेकिन एक बात याद रखना, ऊँचाई पर पहुँच कर नीचे देखना मत भूलना।

उसके कठिन परिश्रम, सच्ची लगन और फकीर के आशीर्वाद से उसके घर में धन की वर्षा होने लगी। कुछ समय बाद ही वह एक बड़े मकान में शानोशौकत के साथ रहने लगा। सभी सुख प्राप्त होने के बाद वह फकीर को दिया हुआ वचन भूल गया।

वक्त की मार बहुत ही खतरनाक होती है। उसकी एकमात्र संतान को कैंसर हो गया। उसने खूब इलाज कराया। पानी की तरह पैसा बहाया लेकिन वह उसे नही बचा पाया। बेटे के गम में उसकी पत्नी को टीबी हो गई और एक दिन वह भी उसे छोड़कर चल बसी। वह अकेला रह गया। फिर एक दिन उसे वह फकीर मिला। उसने फकीर को अपनी आपबीती सुनाई। तब फकीर ने उसे अपना वचन याद दिलाया। फकीर ने कहा कि तुम अपना कर्म भूल गए। तुमने धन कमाया पर गरीबों की मदद में कुछ भी नही लगाया। इसी कारण तुम्हारी यह दुर्दशा हुई है। मैंने तुम्हें कहा था कि ऊँचाई पर पहुँचकर नीचे की ओर जरूर देखना। तुम धन आने के बाद सद्कर्म और सद्कार्यो को भूलकर अपने निजी स्वार्थों में खो गए।

फकीर की बातें सुनकर उसकी आँखें खुल गई। वह बहुत पछताया, उसने अपनी सारी दौलत दान कर दी और शांति की खोज में पुनः अपनी पुरानी चाल में रहने चला गया।

Hindi Story by Rajesh Maheshwari : 111786035
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