hindi Best Comedy stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Comedy stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cul...Read More


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अफसर का अभिनन्दन - 24 By Yashvant Kothari

व्यंग्य धंधा धरम का यशवंत कोठारी आजकल मैं धरम-करम के धंधे में व्यस्त हूँ.इस धंधे में बड़ी बरकत है,बाकी के सब धंधे इस धंधे के सामने फेल हैं.लागत भी ज्यादा नहीं,बस...

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अलख निरंजन By राजीव तनेजा

“अलख निरंजन” "अलख निरंजन!…बोल. ..बम...चिकी बम बम….अलख निरंजन....टूट जाएँ तेरे सारे बंधन" कहकर बाबा ने हुंकारा लगाया और इधर-उधर देखने के बाद मेरे साथ वाली खाली सीट पर आकर बैठ गया|“प...

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दो व्यंग्य By Krishna manu

_________ बस...दो मिनट शुक्रगुज़ार हूँ सोशल मीडिया। एहसान मंद हूँ तुम्हारा। तुमने मुझे वाणी दी, रवानी दी वर्ना हम जैसे टटपूँजिए को पूछता कौन? तुम उस रेडीमेड फूड की तरह हो जिसका रैप...

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सरकारी स्वच्छ्ता कार्यक्रम- व्यंग्य By Rishi Katiyar

कल शाम को ही मोबाइल पे मैसेज आया था,फिर मेल आया,फिर नोटिस लगा ऑफिस में और फिर उसकी प्रिंटेड कॉपीज सभी डिपार्टमेंट हेड्स को भी पहुँचाई गईं थी कि 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर...

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खिड़की की आँख By Pritpal Kaur

खिड़की के बाहर का चौकोर आसमान का टुकड़ा खिड़की जितना ही बड़ा है. लेकिन इसमें से भी पूरा आसमान नहीं दिख रहा. दरअसल इस चौकोर खालीपन में जो मुख्य भरावट है वह है, हरे-भरे लहकते मदमाते अनार...

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व्यथा झोलाछाप डॉक्टर की By राजीव तनेजा

व्यथा झोलाछाप डॉक्टर कीकसम ले लो मुझसे...'खुदा' की...या फिर किसी भी मनचाहे भगवान की.....तसल्ली ना हो तो बेशक।...'बाबा नामदेव' के यहाँ मत्था टिकवाकर पूरे के पूरे सात...

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मुन्नू अनशन पर By Dr Narendra Shukl

मुन्नू अनशन पर एक दिन मेरे मित्र राधेश्याम मेरे पास हांफते हुये आये । मैंने पूछा - ‘राधेश्याम इतना भाग क्यों रहे हो & ओलेम्पिक्स तो कब की खतम हो गई है A तुम अभी तक अभ्यास कर र...

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इश्क कैसे कैसे By राजीव तनेजा

इश्क कैसे कैसे "ओह।…शिट..पहुँच जाना चाहिए था अब तक तो उसे….पता भी है कि मुझे फिल्म की स्टार्टिंग मिस करना बिलकुल भी पसंद नहीं।”“कहीं ट्रैफिक की वजह से तो नहीं…इस वक्त ट्रैफिक भी तो...

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हैप्पी हिन्दी डे By dilip kumar

"हैप्पी हिन्दी डे " (व्यंग्य )हे कूल डूड ऑफ़ हिंदी ,टुडे इज द बर्थडे ऑफ़ हिंदी ,ईट्स आवर मदर टँग एन प्राइड आलसो ,सो लेटस सेलेब्रेट ।यू आर कॉर्डियाली इनवाटेड।लेट्स मीट एट...

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kambal kripa prapti By Sadhana Kumar

सोशल मीडिया का हर तरफ बोलबाला है. इस इन्टरनेट युग मे हर तरफ ज्ञान तों जैसे प्रसाद की तरह बँट रहा है. लोगों के सोशल मीडिया प्रोफाईल देखिये तो लगता है कि हर आदमी कवि है, नेता है, शाय...

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हम हिन्दीवाले By dilip kumar

हम हिन्दीवाले (व्यंग्य )अपने कुनबे में हमने ही ये नई विधा इजाद की है ।एकदम आमिर खान की मानिंद "परफेक्शनिस्ट",नहीं,नहीं भाई कम्युनिस्ट मत समझिये।भई कम्युनिस्ट से जब जनता का वोट और स...

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दाम्पत्य By VIJAY KUMAR SHARMA

दाम्पत्य बात २०१४ के प्रारंभ की है जब नायक की सगाई परिवार जनों की व्यवस्था पद्धति (अरेंज ) से सम्पन्न हो चुकी थी, जहाँ पहली ही मुलाकात में नायक-नायिका (भावी दम्पति) ने उस समय सूझी...

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छुपी सच्चाई By Smit Makvana

छुपी सच्चाई मेने अपने दोस्त(राहुल) को फोन करके अपने साथ बुला लिया ताकि कोई समस्या आये तो हम दोनों एक दूसरे को संभाल शके। राहुल की फिटनेस बहुत ही अच्छी थी, थोड़ी देर बाद वो लोग पापा...

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एक सच : आरंभ ही अंत By Smit Makvana

एक सच: आरंभ ही अंत

PART-1

में(निखिल) कॉलेज में था, पापा(जगदीसभाई) काम पर और माँ(रवीनाबेन) घर पे, छोटा भाई(आयुष) भी स्कूल में गया था। सोमवार से लेकर शनिवार तक हम लोगो की ज़िंदगी...

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म्यूजियम में चाँद By amitaabh dikshit

“कहते हैं पिछली सदी का चांद इस सदी जैसा नहीं था” एक बोला. “नहीं बिल्कुल ऐसा ही था” दूसरे ने पहले की बात काटी. “तुम्हें कैसे मालूम है” पहले ने पूछा. “मैंने म्यूजियम में देखा था”...

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तीन बेचारे By Pushp Saini

लघुकथा ( तीन बेचारे ✍?)~~~~~~~~~~~~~~~"झील किनारे बैठ के सोचू क्यों बचपन तू दूर गया" "अरे यार ! हमने झील किनारे मिलने का कार्यक्रम इसलिए नहीं बनाया था कि तुम "पुष्प सैनी" की यह कवि...

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मैं अपने भाई को क्यूँ मरना चाहता था.. By devendra kushwaha

मैं पिछली सदी में उस साल में पैदा हुआ जब परिवार नियोजन बहुत प्रचिलित नही था और हम दो हमारे दो पर किसी को बहुत विश्वास भी नही था। लोगो के घरों में समय व्यतीत करने के लिए साधन भी नही...

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हनीमून स्पेशल By Ajay Amitabh Suman

रमेश और महेश की मित्रता की मिसाल स्कूल में सारे लोग देते। पढ़ाई या खेल कूद हो, दोनों हमेशा साथ साथ रहते। गिल्ली डंडा हो, कबड्डी या कि पतंग बाजी, दोनों का साथ बना रहता। स्कूल से कॉले...

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आओ चमचागीरी सीखें - व्यंग By Deepak Bundela AryMoulik

कलम दरबारी की कलम से“आओ चमचागीरी सीखें”कसम है उन चम्चगीरों की जिन्होने पूरे देश के कर्मठ लोगों को अपना पालतू बना रखा है…बगैर चमचों के बड़ा आदमी इनके बगैर दिशा हीन है….एक चम्मचें ही...

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कहानी च्युइंग गम की By devendra kushwaha

कक्षा छह में मुझे पहली बार पॉकेट मनी यानी जेब खर्च मिलना शुरू हुआ। जेब खर्च के नाम पे 1996 में रोजाना एक रुपया बुरा नहीं था। मैं शायद दुनिया का पहला ऐसा बच्चा रहा हूं जो इस लालच मे...

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जनता को छलना कितना आसान है By पूर्णिमा राज

एक बड़े से मैदान मे नेताजी भाषण दे रहे थे " भाइयों और बहनों यह आपकी सरकार इतनी सुस्त है कि उससे कोई काम नहीं होता , अपराधी खुले मे घूम रहें हैं ,सड़कें खुदी पडी हैं , महिलाओं क...

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रूम By Nimesh

सुबह के नौ बजे होंगे। छुट्टी का दिन था। फ़ोन की घंटी बजी। अंजान नंबर था। उठाया तो देखा उस तरफ कोई सौहाद्र था। कोई खास जानता नहीं था उसे, मुझे तो याद भी नहीं था, उसी ने याद दिलाया क...

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लोल By Nimesh

एक बच्चा लोल लोल (LOL!!) बोलते हुए अचानक से ज़मीन पे गिर पड़ा। पिता पास हीं बैठे थे, चौंक उठे, अपने फ़ोन के स्क्रीन से नज़र उठा कर बच्चे की तरफ देखा और बिना बोले पूछा... क्या हुआ...!!...

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पहला घूंट By S Kumar

फेसबुक पर हुई दोस्ती के काफी दिन messanger chat के बाद जब उस दोस्त ने मेरी मिलने की इच्छा पर जब अपना इजहार जताया तो मिलने पहुंचते ही जैसे उसको देखा तो देखता ही रह गया इतनी खुबसुरत...

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नोटम नमामि -इस पुस्तक के 4 संस्करण होगये हैं By Yashwant Kothari

फेक न्यूज़ याने झूठीं ख़बरों के बड़े खतरे यशवंत कोठारी फेक न्यूज़ के खतरे सर पर चढ़ कर बोलने लगे हैं. क्या सरकार ,क्या पार्टियाँ और क्या चुनाव लड़ने वाले सब...

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ससुराल के कुछ रोचक वाकये  By Rashmi Ravija

कुछ दिनों पहले यूँ ही सहेलियों के साथ गप्पें हो रही थीं तो बात निकली ससुराल में पहले दिन या शुरूआती दिनों की. एक से  बढ़कर एक रोचक किस्से सुनने को मिले. वैसे भी अपनी माँ -बुआ-...

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जूठी दादी By paresh barai

बुढ़ापा और बीमारी दोनों कष्ट-दायक अवस्थाएँ मानी जाती हैं| अधिकतर लोग इन परिस्थितिओं में टूट कर बिखर जाते हैं, लेकिन इस छोटी सी कहानी की खुराफाती दादी तो किसी और मिट्टी की बनी है| इन...

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अफसर का अभिनन्दन - 24 By Yashvant Kothari

व्यंग्य धंधा धरम का यशवंत कोठारी आजकल मैं धरम-करम के धंधे में व्यस्त हूँ.इस धंधे में बड़ी बरकत है,बाकी के सब धंधे इस धंधे के सामने फेल हैं.लागत भी ज्यादा नहीं,बस...

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अलख निरंजन By राजीव तनेजा

“अलख निरंजन” "अलख निरंजन!…बोल. ..बम...चिकी बम बम….अलख निरंजन....टूट जाएँ तेरे सारे बंधन" कहकर बाबा ने हुंकारा लगाया और इधर-उधर देखने के बाद मेरे साथ वाली खाली सीट पर आकर बैठ गया|“प...

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दो व्यंग्य By Krishna manu

_________ बस...दो मिनट शुक्रगुज़ार हूँ सोशल मीडिया। एहसान मंद हूँ तुम्हारा। तुमने मुझे वाणी दी, रवानी दी वर्ना हम जैसे टटपूँजिए को पूछता कौन? तुम उस रेडीमेड फूड की तरह हो जिसका रैप...

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सरकारी स्वच्छ्ता कार्यक्रम- व्यंग्य By Rishi Katiyar

कल शाम को ही मोबाइल पे मैसेज आया था,फिर मेल आया,फिर नोटिस लगा ऑफिस में और फिर उसकी प्रिंटेड कॉपीज सभी डिपार्टमेंट हेड्स को भी पहुँचाई गईं थी कि 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर...

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खिड़की की आँख By Pritpal Kaur

खिड़की के बाहर का चौकोर आसमान का टुकड़ा खिड़की जितना ही बड़ा है. लेकिन इसमें से भी पूरा आसमान नहीं दिख रहा. दरअसल इस चौकोर खालीपन में जो मुख्य भरावट है वह है, हरे-भरे लहकते मदमाते अनार...

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व्यथा झोलाछाप डॉक्टर की By राजीव तनेजा

व्यथा झोलाछाप डॉक्टर कीकसम ले लो मुझसे...'खुदा' की...या फिर किसी भी मनचाहे भगवान की.....तसल्ली ना हो तो बेशक।...'बाबा नामदेव' के यहाँ मत्था टिकवाकर पूरे के पूरे सात...

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मुन्नू अनशन पर By Dr Narendra Shukl

मुन्नू अनशन पर एक दिन मेरे मित्र राधेश्याम मेरे पास हांफते हुये आये । मैंने पूछा - ‘राधेश्याम इतना भाग क्यों रहे हो & ओलेम्पिक्स तो कब की खतम हो गई है A तुम अभी तक अभ्यास कर र...

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इश्क कैसे कैसे By राजीव तनेजा

इश्क कैसे कैसे "ओह।…शिट..पहुँच जाना चाहिए था अब तक तो उसे….पता भी है कि मुझे फिल्म की स्टार्टिंग मिस करना बिलकुल भी पसंद नहीं।”“कहीं ट्रैफिक की वजह से तो नहीं…इस वक्त ट्रैफिक भी तो...

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हैप्पी हिन्दी डे By dilip kumar

"हैप्पी हिन्दी डे " (व्यंग्य )हे कूल डूड ऑफ़ हिंदी ,टुडे इज द बर्थडे ऑफ़ हिंदी ,ईट्स आवर मदर टँग एन प्राइड आलसो ,सो लेटस सेलेब्रेट ।यू आर कॉर्डियाली इनवाटेड।लेट्स मीट एट...

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सोशल मीडिया का हर तरफ बोलबाला है. इस इन्टरनेट युग मे हर तरफ ज्ञान तों जैसे प्रसाद की तरह बँट रहा है. लोगों के सोशल मीडिया प्रोफाईल देखिये तो लगता है कि हर आदमी कवि है, नेता है, शाय...

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हम हिन्दीवाले By dilip kumar

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दाम्पत्य By VIJAY KUMAR SHARMA

दाम्पत्य बात २०१४ के प्रारंभ की है जब नायक की सगाई परिवार जनों की व्यवस्था पद्धति (अरेंज ) से सम्पन्न हो चुकी थी, जहाँ पहली ही मुलाकात में नायक-नायिका (भावी दम्पति) ने उस समय सूझी...

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छुपी सच्चाई By Smit Makvana

छुपी सच्चाई मेने अपने दोस्त(राहुल) को फोन करके अपने साथ बुला लिया ताकि कोई समस्या आये तो हम दोनों एक दूसरे को संभाल शके। राहुल की फिटनेस बहुत ही अच्छी थी, थोड़ी देर बाद वो लोग पापा...

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एक सच : आरंभ ही अंत By Smit Makvana

एक सच: आरंभ ही अंत

PART-1

में(निखिल) कॉलेज में था, पापा(जगदीसभाई) काम पर और माँ(रवीनाबेन) घर पे, छोटा भाई(आयुष) भी स्कूल में गया था। सोमवार से लेकर शनिवार तक हम लोगो की ज़िंदगी...

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म्यूजियम में चाँद By amitaabh dikshit

“कहते हैं पिछली सदी का चांद इस सदी जैसा नहीं था” एक बोला. “नहीं बिल्कुल ऐसा ही था” दूसरे ने पहले की बात काटी. “तुम्हें कैसे मालूम है” पहले ने पूछा. “मैंने म्यूजियम में देखा था”...

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तीन बेचारे By Pushp Saini

लघुकथा ( तीन बेचारे ✍?)~~~~~~~~~~~~~~~"झील किनारे बैठ के सोचू क्यों बचपन तू दूर गया" "अरे यार ! हमने झील किनारे मिलने का कार्यक्रम इसलिए नहीं बनाया था कि तुम "पुष्प सैनी" की यह कवि...

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मैं अपने भाई को क्यूँ मरना चाहता था.. By devendra kushwaha

मैं पिछली सदी में उस साल में पैदा हुआ जब परिवार नियोजन बहुत प्रचिलित नही था और हम दो हमारे दो पर किसी को बहुत विश्वास भी नही था। लोगो के घरों में समय व्यतीत करने के लिए साधन भी नही...

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हनीमून स्पेशल By Ajay Amitabh Suman

रमेश और महेश की मित्रता की मिसाल स्कूल में सारे लोग देते। पढ़ाई या खेल कूद हो, दोनों हमेशा साथ साथ रहते। गिल्ली डंडा हो, कबड्डी या कि पतंग बाजी, दोनों का साथ बना रहता। स्कूल से कॉले...

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आओ चमचागीरी सीखें - व्यंग By Deepak Bundela AryMoulik

कलम दरबारी की कलम से“आओ चमचागीरी सीखें”कसम है उन चम्चगीरों की जिन्होने पूरे देश के कर्मठ लोगों को अपना पालतू बना रखा है…बगैर चमचों के बड़ा आदमी इनके बगैर दिशा हीन है….एक चम्मचें ही...

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कहानी च्युइंग गम की By devendra kushwaha

कक्षा छह में मुझे पहली बार पॉकेट मनी यानी जेब खर्च मिलना शुरू हुआ। जेब खर्च के नाम पे 1996 में रोजाना एक रुपया बुरा नहीं था। मैं शायद दुनिया का पहला ऐसा बच्चा रहा हूं जो इस लालच मे...

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जनता को छलना कितना आसान है By पूर्णिमा राज

एक बड़े से मैदान मे नेताजी भाषण दे रहे थे " भाइयों और बहनों यह आपकी सरकार इतनी सुस्त है कि उससे कोई काम नहीं होता , अपराधी खुले मे घूम रहें हैं ,सड़कें खुदी पडी हैं , महिलाओं क...

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रूम By Nimesh

सुबह के नौ बजे होंगे। छुट्टी का दिन था। फ़ोन की घंटी बजी। अंजान नंबर था। उठाया तो देखा उस तरफ कोई सौहाद्र था। कोई खास जानता नहीं था उसे, मुझे तो याद भी नहीं था, उसी ने याद दिलाया क...

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लोल By Nimesh

एक बच्चा लोल लोल (LOL!!) बोलते हुए अचानक से ज़मीन पे गिर पड़ा। पिता पास हीं बैठे थे, चौंक उठे, अपने फ़ोन के स्क्रीन से नज़र उठा कर बच्चे की तरफ देखा और बिना बोले पूछा... क्या हुआ...!!...

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पहला घूंट By S Kumar

फेसबुक पर हुई दोस्ती के काफी दिन messanger chat के बाद जब उस दोस्त ने मेरी मिलने की इच्छा पर जब अपना इजहार जताया तो मिलने पहुंचते ही जैसे उसको देखा तो देखता ही रह गया इतनी खुबसुरत...

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नोटम नमामि -इस पुस्तक के 4 संस्करण होगये हैं By Yashwant Kothari

फेक न्यूज़ याने झूठीं ख़बरों के बड़े खतरे यशवंत कोठारी फेक न्यूज़ के खतरे सर पर चढ़ कर बोलने लगे हैं. क्या सरकार ,क्या पार्टियाँ और क्या चुनाव लड़ने वाले सब...

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ससुराल के कुछ रोचक वाकये  By Rashmi Ravija

कुछ दिनों पहले यूँ ही सहेलियों के साथ गप्पें हो रही थीं तो बात निकली ससुराल में पहले दिन या शुरूआती दिनों की. एक से  बढ़कर एक रोचक किस्से सुनने को मिले. वैसे भी अपनी माँ -बुआ-...

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जूठी दादी By paresh barai

बुढ़ापा और बीमारी दोनों कष्ट-दायक अवस्थाएँ मानी जाती हैं| अधिकतर लोग इन परिस्थितिओं में टूट कर बिखर जाते हैं, लेकिन इस छोटी सी कहानी की खुराफाती दादी तो किसी और मिट्टी की बनी है| इन...

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