hindi Best Comedy stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Comedy stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cul...Read More


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अफसर का अभिनन्दन - 19 By Yashvant Kothari

हिंदी -व्यंग्य में पीढ़ियों का अन्तराल यशवंत कोठारी काफी समय से हिंदी व्यंग्य का पाठक हूँ .अन्य भाषाओँ की रचनाएँ भी पढता रहता हूँ .उर्दू...

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हैप्पी हिन्दी डे By dilip kumar

"हैप्पी हिन्दी डे " (व्यंग्य )हे कूल डूड ऑफ़ हिंदी ,टुडे इज द बर्थडे ऑफ़ हिंदी ,ईट्स आवर मदर टँग एन प्राइड आलसो ,सो लेटस सेलेब्रेट ।यू आर कॉर्डियाली इनवाटेड।लेट्स मीट एट...

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kambal kripa prapti By Sadhana Kumar

सोशल मीडिया का हर तरफ बोलबाला है. इस इन्टरनेट युग मे हर तरफ ज्ञान तों जैसे प्रसाद की तरह बँट रहा है. लोगों के सोशल मीडिया प्रोफाईल देखिये तो लगता है कि हर आदमी कवि है, नेता है, शाय...

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हम हिन्दीवाले By dilip kumar

हम हिन्दीवाले (व्यंग्य )अपने कुनबे में हमने ही ये नई विधा इजाद की है ।एकदम आमिर खान की मानिंद "परफेक्शनिस्ट",नहीं,नहीं भाई कम्युनिस्ट मत समझिये।भई कम्युनिस्ट से जब जनता का वोट और स...

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दाम्पत्य By VIJAY KUMAR SHARMA

दाम्पत्य बात २०१४ के प्रारंभ की है जब नायक की सगाई परिवार जनों की व्यवस्था पद्धति (अरेंज ) से सम्पन्न हो चुकी थी, जहाँ पहली ही मुलाकात में नायक-नायिका (भावी दम्पति) ने उस समय सूझी...

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छुपी सच्चाई By Smit Makvana

छुपी सच्चाई मेने अपने दोस्त(राहुल) को फोन करके अपने साथ बुला लिया ताकि कोई समस्या आये तो हम दोनों एक दूसरे को संभाल शके। राहुल की फिटनेस बहुत ही अच्छी थी, थोड़ी देर बाद वो लोग पापा...

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एक सच : आरंभ ही अंत By Smit Makvana

एक सच: आरंभ ही अंत

PART-1

में(निखिल) कॉलेज में था, पापा(जगदीसभाई) काम पर और माँ(रवीनाबेन) घर पे, छोटा भाई(आयुष) भी स्कूल में गया था। सोमवार से लेकर शनिवार तक हम लोगो की ज़िंदगी...

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म्यूजियम में चाँद By amitaabh dikshit

“कहते हैं पिछली सदी का चांद इस सदी जैसा नहीं था” एक बोला. “नहीं बिल्कुल ऐसा ही था” दूसरे ने पहले की बात काटी. “तुम्हें कैसे मालूम है” पहले ने पूछा. “मैंने म्यूजियम में देखा था”...

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तीन बेचारे By Pushp Saini

लघुकथा ( तीन बेचारे ✍?)~~~~~~~~~~~~~~~"झील किनारे बैठ के सोचू क्यों बचपन तू दूर गया" "अरे यार ! हमने झील किनारे मिलने का कार्यक्रम इसलिए नहीं बनाया था कि तुम "पुष्प सैनी" की यह कवि...

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मैं अपने भाई को क्यूँ मरना चाहता था.. By devendra kushwaha

मैं पिछली सदी में उस साल में पैदा हुआ जब परिवार नियोजन बहुत प्रचिलित नही था और हम दो हमारे दो पर किसी को बहुत विश्वास भी नही था। लोगो के घरों में समय व्यतीत करने के लिए साधन भी नही...

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हनीमून स्पेशल By Ajay Amitabh Suman

रमेश और महेश की मित्रता की मिसाल स्कूल में सारे लोग देते। पढ़ाई या खेल कूद हो, दोनों हमेशा साथ साथ रहते। गिल्ली डंडा हो, कबड्डी या कि पतंग बाजी, दोनों का साथ बना रहता। स्कूल से कॉले...

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आओ चमचागीरी सीखें - व्यंग By Deepak Bundela AryMoulik

कलम दरबारी की कलम से“आओ चमचागीरी सीखें”कसम है उन चम्चगीरों की जिन्होने पूरे देश के कर्मठ लोगों को अपना पालतू बना रखा है…बगैर चमचों के बड़ा आदमी इनके बगैर दिशा हीन है….एक चम्मचें ही...

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कहानी च्युइंग गम की By devendra kushwaha

कक्षा छह में मुझे पहली बार पॉकेट मनी यानी जेब खर्च मिलना शुरू हुआ। जेब खर्च के नाम पे 1996 में रोजाना एक रुपया बुरा नहीं था। मैं शायद दुनिया का पहला ऐसा बच्चा रहा हूं जो इस लालच मे...

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जनता को छलना कितना आसान है By पूर्णिमा राज

एक बड़े से मैदान मे नेताजी भाषण दे रहे थे " भाइयों और बहनों यह आपकी सरकार इतनी सुस्त है कि उससे कोई काम नहीं होता , अपराधी खुले मे घूम रहें हैं ,सड़कें खुदी पडी हैं , महिलाओं क...

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रूम By Nimesh

सुबह के नौ बजे होंगे। छुट्टी का दिन था। फ़ोन की घंटी बजी। अंजान नंबर था। उठाया तो देखा उस तरफ कोई सौहाद्र था। कोई खास जानता नहीं था उसे, मुझे तो याद भी नहीं था, उसी ने याद दिलाया क...

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लोल By Nimesh

एक बच्चा लोल लोल (LOL!!) बोलते हुए अचानक से ज़मीन पे गिर पड़ा। पिता पास हीं बैठे थे, चौंक उठे, अपने फ़ोन के स्क्रीन से नज़र उठा कर बच्चे की तरफ देखा और बिना बोले पूछा... क्या हुआ...!!...

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पहला घूंट By S Kumar

फेसबुक पर हुई दोस्ती के काफी दिन messanger chat के बाद जब उस दोस्त ने मेरी मिलने की इच्छा पर जब अपना इजहार जताया तो मिलने पहुंचते ही जैसे उसको देखा तो देखता ही रह गया इतनी खुबसुरत...

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नोटम नमामि -इस पुस्तक के 4 संस्करण होगये हैं By Yashwant Kothari

फेक न्यूज़ याने झूठीं ख़बरों के बड़े खतरे यशवंत कोठारी फेक न्यूज़ के खतरे सर पर चढ़ कर बोलने लगे हैं. क्या सरकार ,क्या पार्टियाँ और क्या चुनाव लड़ने वाले सब...

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ससुराल के कुछ रोचक वाकये  By Rashmi Ravija

कुछ दिनों पहले यूँ ही सहेलियों के साथ गप्पें हो रही थीं तो बात निकली ससुराल में पहले दिन या शुरूआती दिनों की. एक से  बढ़कर एक रोचक किस्से सुनने को मिले. वैसे भी अपनी माँ -बुआ-...

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जूठी दादी By paresh barai

बुढ़ापा और बीमारी दोनों कष्ट-दायक अवस्थाएँ मानी जाती हैं| अधिकतर लोग इन परिस्थितिओं में टूट कर बिखर जाते हैं, लेकिन इस छोटी सी कहानी की खुराफाती दादी तो किसी और मिट्टी की बनी है| इन...

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मेरे पोस्टमैन By Yashvant Kothari

मेरे पोस्टमैन यश वन्त कोठारी आज मैं पोस्टमैनों की चर्चा करना चाहता हूं। कारण स्पष्ट है कि बिना पोस्टमैन के लेखक का जीवन अधूरा है। सच पूछा जाये तो पोस्टमैन ही लेखक का सच्चा मित...

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लौट के गाँधी आये दिल्ली By Ajay Amitabh Suman

15 अगस्त 2018, वैस गाँधी जी के लिए आज का समय कुछ उचित नहीं। पर सुना है मैंने , 15 अगस्त 2018 की घटना है।अपने ये जो गांधीजी जी है नेहरु जी के साथ लेटे हुए थे स्वर्ग में । दोनों साथ...

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अन्ना का चूस लिया गन्ना By Ajay Amitabh Suman

पहली बात तो मैं ये बता दूँ , ना तो मैं केजरीवाल जी का विरोधी हूँ और ना अन्ना जी का समर्थक ।एक बात ये भी बता दूँ की इस लेख का जो शीर्षक है उसका लेखक भी मैं नहीं । इस लेख का लेखक दर...

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वैलेंटाइन डे मसखरी By Pranjal Saxena

एक बार एक समय हम थे ठोस कुँवारे, बिना प्रेमिका के लगते थे एकदम बेचारे। जब भी आता था वैलेंटाइन का त्यौहार, हमें भी चढ़ता था प्रेमी होने का बुखार। पर जीवन में था प्रेमिका का घोर अभाव,...

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रुमाल वाली लड़की By paresh barai

नितिन की एक बुरी आदत थी| उसे वही चीज़ पसंद आती जो उसकी पहुँच से थोड़ी बाहर होती थी| बचपन से ले कर जवानी तक उसनें अपने मनचले दिल को संभाले रक्खा था| कॉलेज के दिनों में कई बार इन महाशय...

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वैलेंटाइन का त्यौहार : हास्य व्यंग्य By Sumati Joshi

फरवरी का महीना फिर आ गया है, जैसे कि हर साल आता है। इस बार क्या ख़ास है ? वही जो हर साल होता है। वैलेंटाइन का हफ्ता : 7 फरवरी - 14 फरवरी इस हफ्ते कि बात ही कुछ निराली होती है। सारे...

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नतू को दीवाली ने दिया बीस हज़ार का जटका जोरों से. By harshad solanki

हर साल की भांती इस साल भी “बांकीचाल” में दीवाली की तैयारी बड़े जोर शोर से हुई थी. सब ने अपने अपने घरों को बड़े शानोसोकत से सजाया था. बड़ी जल्दी सुबह से महिलाएं एवं बच्चे घर आँगन में र...

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पोषाहार प्रभारी By Lecturer Jagdish Siyag

 उतरा मुंह लेकर आये पोषाहार प्रभारी।बोले लकड़ी खत्म हो गई सारी।।अब बनाये कैसे रोटी और दाल।ऊपर से सब कहते मास्टर खा जाते सारा माल।।मैंने कहा, चिंता ना करो सर।गैस की टंकी कल ही त...

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पतु ने बजवा दी गेंदारामानी के कनपट्टी के नीचे…! (हास्य कहानी ) By harshad solanki

कल रात नतू अपनी दुकान से घर की और लौटते हुए हमारी बांकीचाल के कंपाउंड में ही मुझे मिल गए. दीवाली के मौके के चलते बाजार में बड़ी तेजी है; इसलिए उन्हें घर लौटने में देर हो जा रही है.“...

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विकास तो हुआ है By Sadhna Kumar

गर्मियों के   दिन  थे  और  हर  साल  की तुलना  में इस  साल तापमान  थोड़ा  ज्यादा ही  था.मानसून  के आने का  समय&n...

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फरमाईश By S Kumar

कहते हैं जहाँ प्यार होता है अक्सर वहीं तकरार भी होता है शादीशुदा जीवन में अगर प्यार होता है तो पति पत्नी में तकरार , नौंक झोंक हलके फुल्के झगड़े होना भी आम बात है .. और आस पडोस...

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पुस्तक का विमोचन By Manjari Shukla

मैं सुबह के अखबार में सिर घुसा कर देखने की कोशिश कर रहा था कि कहीं कोई काम की ख़बर दिख जाए कि तभी लगा सामने की कुर्सी पर आकर कोई विराजमान हो गया हैIडर के मारे जैसे मेरी जान ऐसे निकल...

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अफसर का अभिनन्दन - 19 By Yashvant Kothari

हिंदी -व्यंग्य में पीढ़ियों का अन्तराल यशवंत कोठारी काफी समय से हिंदी व्यंग्य का पाठक हूँ .अन्य भाषाओँ की रचनाएँ भी पढता रहता हूँ .उर्दू...

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हैप्पी हिन्दी डे By dilip kumar

"हैप्पी हिन्दी डे " (व्यंग्य )हे कूल डूड ऑफ़ हिंदी ,टुडे इज द बर्थडे ऑफ़ हिंदी ,ईट्स आवर मदर टँग एन प्राइड आलसो ,सो लेटस सेलेब्रेट ।यू आर कॉर्डियाली इनवाटेड।लेट्स मीट एट...

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kambal kripa prapti By Sadhana Kumar

सोशल मीडिया का हर तरफ बोलबाला है. इस इन्टरनेट युग मे हर तरफ ज्ञान तों जैसे प्रसाद की तरह बँट रहा है. लोगों के सोशल मीडिया प्रोफाईल देखिये तो लगता है कि हर आदमी कवि है, नेता है, शाय...

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हम हिन्दीवाले By dilip kumar

हम हिन्दीवाले (व्यंग्य )अपने कुनबे में हमने ही ये नई विधा इजाद की है ।एकदम आमिर खान की मानिंद "परफेक्शनिस्ट",नहीं,नहीं भाई कम्युनिस्ट मत समझिये।भई कम्युनिस्ट से जब जनता का वोट और स...

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दाम्पत्य By VIJAY KUMAR SHARMA

दाम्पत्य बात २०१४ के प्रारंभ की है जब नायक की सगाई परिवार जनों की व्यवस्था पद्धति (अरेंज ) से सम्पन्न हो चुकी थी, जहाँ पहली ही मुलाकात में नायक-नायिका (भावी दम्पति) ने उस समय सूझी...

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छुपी सच्चाई By Smit Makvana

छुपी सच्चाई मेने अपने दोस्त(राहुल) को फोन करके अपने साथ बुला लिया ताकि कोई समस्या आये तो हम दोनों एक दूसरे को संभाल शके। राहुल की फिटनेस बहुत ही अच्छी थी, थोड़ी देर बाद वो लोग पापा...

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एक सच : आरंभ ही अंत By Smit Makvana

एक सच: आरंभ ही अंत

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में(निखिल) कॉलेज में था, पापा(जगदीसभाई) काम पर और माँ(रवीनाबेन) घर पे, छोटा भाई(आयुष) भी स्कूल में गया था। सोमवार से लेकर शनिवार तक हम लोगो की ज़िंदगी...

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म्यूजियम में चाँद By amitaabh dikshit

“कहते हैं पिछली सदी का चांद इस सदी जैसा नहीं था” एक बोला. “नहीं बिल्कुल ऐसा ही था” दूसरे ने पहले की बात काटी. “तुम्हें कैसे मालूम है” पहले ने पूछा. “मैंने म्यूजियम में देखा था”...

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तीन बेचारे By Pushp Saini

लघुकथा ( तीन बेचारे ✍?)~~~~~~~~~~~~~~~"झील किनारे बैठ के सोचू क्यों बचपन तू दूर गया" "अरे यार ! हमने झील किनारे मिलने का कार्यक्रम इसलिए नहीं बनाया था कि तुम "पुष्प सैनी" की यह कवि...

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मैं अपने भाई को क्यूँ मरना चाहता था.. By devendra kushwaha

मैं पिछली सदी में उस साल में पैदा हुआ जब परिवार नियोजन बहुत प्रचिलित नही था और हम दो हमारे दो पर किसी को बहुत विश्वास भी नही था। लोगो के घरों में समय व्यतीत करने के लिए साधन भी नही...

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हनीमून स्पेशल By Ajay Amitabh Suman

रमेश और महेश की मित्रता की मिसाल स्कूल में सारे लोग देते। पढ़ाई या खेल कूद हो, दोनों हमेशा साथ साथ रहते। गिल्ली डंडा हो, कबड्डी या कि पतंग बाजी, दोनों का साथ बना रहता। स्कूल से कॉले...

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आओ चमचागीरी सीखें - व्यंग By Deepak Bundela AryMoulik

कलम दरबारी की कलम से“आओ चमचागीरी सीखें”कसम है उन चम्चगीरों की जिन्होने पूरे देश के कर्मठ लोगों को अपना पालतू बना रखा है…बगैर चमचों के बड़ा आदमी इनके बगैर दिशा हीन है….एक चम्मचें ही...

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कहानी च्युइंग गम की By devendra kushwaha

कक्षा छह में मुझे पहली बार पॉकेट मनी यानी जेब खर्च मिलना शुरू हुआ। जेब खर्च के नाम पे 1996 में रोजाना एक रुपया बुरा नहीं था। मैं शायद दुनिया का पहला ऐसा बच्चा रहा हूं जो इस लालच मे...

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जनता को छलना कितना आसान है By पूर्णिमा राज

एक बड़े से मैदान मे नेताजी भाषण दे रहे थे " भाइयों और बहनों यह आपकी सरकार इतनी सुस्त है कि उससे कोई काम नहीं होता , अपराधी खुले मे घूम रहें हैं ,सड़कें खुदी पडी हैं , महिलाओं क...

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रूम By Nimesh

सुबह के नौ बजे होंगे। छुट्टी का दिन था। फ़ोन की घंटी बजी। अंजान नंबर था। उठाया तो देखा उस तरफ कोई सौहाद्र था। कोई खास जानता नहीं था उसे, मुझे तो याद भी नहीं था, उसी ने याद दिलाया क...

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लोल By Nimesh

एक बच्चा लोल लोल (LOL!!) बोलते हुए अचानक से ज़मीन पे गिर पड़ा। पिता पास हीं बैठे थे, चौंक उठे, अपने फ़ोन के स्क्रीन से नज़र उठा कर बच्चे की तरफ देखा और बिना बोले पूछा... क्या हुआ...!!...

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पहला घूंट By S Kumar

फेसबुक पर हुई दोस्ती के काफी दिन messanger chat के बाद जब उस दोस्त ने मेरी मिलने की इच्छा पर जब अपना इजहार जताया तो मिलने पहुंचते ही जैसे उसको देखा तो देखता ही रह गया इतनी खुबसुरत...

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नोटम नमामि -इस पुस्तक के 4 संस्करण होगये हैं By Yashwant Kothari

फेक न्यूज़ याने झूठीं ख़बरों के बड़े खतरे यशवंत कोठारी फेक न्यूज़ के खतरे सर पर चढ़ कर बोलने लगे हैं. क्या सरकार ,क्या पार्टियाँ और क्या चुनाव लड़ने वाले सब...

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ससुराल के कुछ रोचक वाकये  By Rashmi Ravija

कुछ दिनों पहले यूँ ही सहेलियों के साथ गप्पें हो रही थीं तो बात निकली ससुराल में पहले दिन या शुरूआती दिनों की. एक से  बढ़कर एक रोचक किस्से सुनने को मिले. वैसे भी अपनी माँ -बुआ-...

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जूठी दादी By paresh barai

बुढ़ापा और बीमारी दोनों कष्ट-दायक अवस्थाएँ मानी जाती हैं| अधिकतर लोग इन परिस्थितिओं में टूट कर बिखर जाते हैं, लेकिन इस छोटी सी कहानी की खुराफाती दादी तो किसी और मिट्टी की बनी है| इन...

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मेरे पोस्टमैन By Yashvant Kothari

मेरे पोस्टमैन यश वन्त कोठारी आज मैं पोस्टमैनों की चर्चा करना चाहता हूं। कारण स्पष्ट है कि बिना पोस्टमैन के लेखक का जीवन अधूरा है। सच पूछा जाये तो पोस्टमैन ही लेखक का सच्चा मित...

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लौट के गाँधी आये दिल्ली By Ajay Amitabh Suman

15 अगस्त 2018, वैस गाँधी जी के लिए आज का समय कुछ उचित नहीं। पर सुना है मैंने , 15 अगस्त 2018 की घटना है।अपने ये जो गांधीजी जी है नेहरु जी के साथ लेटे हुए थे स्वर्ग में । दोनों साथ...

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वैलेंटाइन डे मसखरी By Pranjal Saxena

एक बार एक समय हम थे ठोस कुँवारे, बिना प्रेमिका के लगते थे एकदम बेचारे। जब भी आता था वैलेंटाइन का त्यौहार, हमें भी चढ़ता था प्रेमी होने का बुखार। पर जीवन में था प्रेमिका का घोर अभाव,...

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रुमाल वाली लड़की By paresh barai

नितिन की एक बुरी आदत थी| उसे वही चीज़ पसंद आती जो उसकी पहुँच से थोड़ी बाहर होती थी| बचपन से ले कर जवानी तक उसनें अपने मनचले दिल को संभाले रक्खा था| कॉलेज के दिनों में कई बार इन महाशय...

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वैलेंटाइन का त्यौहार : हास्य व्यंग्य By Sumati Joshi

फरवरी का महीना फिर आ गया है, जैसे कि हर साल आता है। इस बार क्या ख़ास है ? वही जो हर साल होता है। वैलेंटाइन का हफ्ता : 7 फरवरी - 14 फरवरी इस हफ्ते कि बात ही कुछ निराली होती है। सारे...

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नतू को दीवाली ने दिया बीस हज़ार का जटका जोरों से. By harshad solanki

हर साल की भांती इस साल भी “बांकीचाल” में दीवाली की तैयारी बड़े जोर शोर से हुई थी. सब ने अपने अपने घरों को बड़े शानोसोकत से सजाया था. बड़ी जल्दी सुबह से महिलाएं एवं बच्चे घर आँगन में र...

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पोषाहार प्रभारी By Lecturer Jagdish Siyag

 उतरा मुंह लेकर आये पोषाहार प्रभारी।बोले लकड़ी खत्म हो गई सारी।।अब बनाये कैसे रोटी और दाल।ऊपर से सब कहते मास्टर खा जाते सारा माल।।मैंने कहा, चिंता ना करो सर।गैस की टंकी कल ही त...

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पतु ने बजवा दी गेंदारामानी के कनपट्टी के नीचे…! (हास्य कहानी ) By harshad solanki

कल रात नतू अपनी दुकान से घर की और लौटते हुए हमारी बांकीचाल के कंपाउंड में ही मुझे मिल गए. दीवाली के मौके के चलते बाजार में बड़ी तेजी है; इसलिए उन्हें घर लौटने में देर हो जा रही है.“...

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विकास तो हुआ है By Sadhna Kumar

गर्मियों के   दिन  थे  और  हर  साल  की तुलना  में इस  साल तापमान  थोड़ा  ज्यादा ही  था.मानसून  के आने का  समय&n...

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कहते हैं जहाँ प्यार होता है अक्सर वहीं तकरार भी होता है शादीशुदा जीवन में अगर प्यार होता है तो पति पत्नी में तकरार , नौंक झोंक हलके फुल्के झगड़े होना भी आम बात है .. और आस पडोस...

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पुस्तक का विमोचन By Manjari Shukla

मैं सुबह के अखबार में सिर घुसा कर देखने की कोशिश कर रहा था कि कहीं कोई काम की ख़बर दिख जाए कि तभी लगा सामने की कुर्सी पर आकर कोई विराजमान हो गया हैIडर के मारे जैसे मेरी जान ऐसे निकल...

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