The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
Kavita Verma लिखित उपन्यास "देह की दहलीज पर" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें https://www.matrubharti.com/novels/16686/deh-ki-dahleez-par-by-kavita-verma कमरे में चाय का खाली कप, मुचड़ा पड़ा बिस्तर कामिनी को मुँह चिढ़ा रहे थे।उसने जल्दी-जल्दी सब कुछ समेटा तब तक कांता सफाई करने आ गई। उसके जाने के बाद कामिनी बाथरूम में घुस गई। कल रात से अब तक कई गुना बढ़ चुकी बेचैनी आंखों के रास्ते बाहर निकल पड़ने को हुई जिसे उसने रोकने की कोशिश भी नहीं की और उसे शावर के साथ बहा दिया। मन तो उसका बुक्का फाड़कर रोने का हो रहा था लेकिन कहीं आवाज बाहर न चली जाए। इतने लंबे समय से अपने अंदर जतन से छुपाई इस बेचैनी को सबके सामने खासकर बच्चों के सामने आ जाने की शर्म ने उसे कुशल अभिनेत्री बना दिया था। बच्चे क्या वह तो मुकुल के सामने भी सामान्य रहने की ही कोशिश करती है। अभी तो वह खुद ही इस बदलाव के कारण को नहीं समझ पाई है, और न ही समझ पा रही है कि इसका सामना कैसे करें ? ऐसे में सब समझने की कोशिश करते सामान्य दिखना ही एक उपाय है
सुयोग और शालिनी की एक आम सी मुलाकात जो खास थी उसने बालकनी के परे किसी को देख कर मुस्कुराने का बहाना दे दिया था। कभी सुबह तो कभी देर रात जब दोनों फ्लैट में अकेलापन उन्हें डसने लगता वे बाहर बालकनी में आ जाते और किसी की मुस्कान को इस अकेलेपन से लड़ने और उसे दूर भगाने का हथियार बना लेते। दोनों ब्लॉक के बीच 40 फीट की दूरी उनके शब्दों को एक-दूसरे तक नहीं पहुंचने देती लेकिन चेहरे और दिल के भाव साथ होने का एहसास देते। Kavita Verma लिखित कहानी "देह की दहलीज पर - 1" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें https://www.matrubharti.com/book/19884120/deh-ki-dahleez-par-1
#देह_की_दहलीज_पर तीस साल के युवा से लेकर पचास साला कपल तक के रिश्ते देह की दहलीज पर क्या रंग लेते हैं जानने के लिए पढ़ें उपन्यास Kavita Verma लिखित उपन्यास "देह की दहलीज पर" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें https://www.matrubharti.com/novels/16686/deh-ki-dahleez-par-by-kavita-verma
देह की दहलीज पर कड़ी 7 में कोशिश यही की गई है कि युवा उम्र की इस अवस्था में देह की भाषा को शब्द दे सकें। युवाओं में इस भाषा भाव को सुनने समझने की वृत्ति अलग होती है उनके पास जीवन के अलहदा लक्ष्य होते हैं और उनके सामने देह कहीं पीछे छूट जाती है लेकिन क्या सच में पीछे छूट जाती है यही पड़ताल की गई है। उपन्यास देह की दहलीज पर Kavita Verma लिखित कहानी "देह की दहलीज पर - 7" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें https://www.matrubharti.com/book/19885225/deh-ki-dahleez-par-7 -- Kavita Verma https://www.matrubharti.com/bites/111443947
युवा पीढ़ी के लिए अपने सपने अपना कैरियर बहुत महत्वपूर्ण है यही कारण है कि शादी जैसे महत्वपूर्ण निर्णय में भी वह अपने सपनों को प्राथमिकता पर रखते हैं। उनके लिये अपने पार्टनर से मन का जुड़ाव बहुत अहम है। इसी जुड़ाव से उपजे विश्वास के सहारे वह लांग डिस्टेंस रिलेशनशिप भी निभा लेते हैं। लेकिन फिर भी कहीं कोई कमी रह जाती है जिसे चाहे वे म्यूजिक डांस पार्टी की आड़ में छुपाने की कोशिश करते हैं। सुयोग और प्रिया ऐसे ही कपल हैं जो लांग डिस्टेंस रिलेशनशिप में ऐसी ही कमी से जूझ रहे हैं वहीं शालिनी भी है जो अपने प्रेमी की मौत के बाद अकेले जी रही है। इनकी जिंदगी देह की दहलीज पर ठिठकी हुई हैं। क्या होता है इनकी जिंदगी में यह जानने के लिए पढ़िये उपन्यास देह की दहलीज पर। जो जल्दी ही आ रहा है मातृभारती पर।
लांग डिस्टेंस रिलेशनशिप में मन के तार तो जुड़े हुए हैं लेकिन क्या ऐसे जोड़े खुश हैं? कैसे तलाश करते हैं वे अपनी खुशियाँ कैसे दबाते हैं अकेलेपन का दर्द। नये पात्र सुयोग और प्रिया की कहानी पढ़िये देह की दहलीज पर कहाँ ठिठका है इनका रिश्ता। शाम छह बजे देह की दहलीज पर
कथा कड़ी –पाँच अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा से कामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया उसके मन ने किसी तीसरे के होने का संशय जताया लेकिन उसे अभी भी किसी बात का समाधान नहीं मिला है। बैचेन कामिनी सोसाइटी में घूमते टहलते अपना मन बहलाती है वहीं उसकी मुलाकात अरोरा अंकल आंटी से होती है जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। कामिनी की परेशानी नीलम को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है। रविवार के दिन राकेश सुबह से मूड में था और नीलम उससे बचने की कोशिश में। एक सितार के दो तार अलग अलग सुर में कब तक बंध सकते हैं? अब आगे Kavita Verma लिखित कहानी "देह की दहलीज पर - 4" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें https://www.matrubharti.com/book/19884625/deh-ki-dahleez-par-4
मुकुल की उपेक्षा से कामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया उसके मन ने किसी तीसरे के होने का संशय जताया लेकिन उसे अभी भी किसी बात का समाधान नहीं मिला है। बैचेन कामिनी सोसाइटी में घूमते टहलते अपना मन बहलाती है वहीं उसकी मुलाकात अरोरा अंकल आंटी से होती है जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। वहीं कामिनी की परेशानी नीलम को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है?
वंदना गुप्ता जी द्वारा लिखित दूसरी कड़ी में मुकुल की उपेक्षा से आहत कामिनी कालेज में अपनी सखी नीलम से अपना दुख बांटती है। जानना रोचक होगा कि कामिनी का दुख कम होता है या नीलम ही किसी सोच में डूब जाती है? क्या है इसका कारण जानने के लिए पढें देह की दहलीज पर कड़ी 2
रिश्तों में उलझन कुछ मन की कुछ तन की। जिनमें उलझकर रिश्ते उदास हताश नजर आते हैं। क्या हुआ है कामिनी और मुकुल के रिश्ते को? किससे कहेगी कामिनी अपनी उलझन? जानने के लिए पढ़ें उपन्यास देह की दहलीज पर की दूसरी कड़ी आज शाम छह बजे
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser