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डरना नही झुकना नही चलते रहो बढ़ते रहो, इस जिंदगी की राह में, कदम तेरे डगमगाएँगे।। गर रुक गए या झुक गए, निराश गर तुम हो गए, फिर ना कभी उठ पाओगे, सपने अधूरे रह जाएंगे। मिली बड़े जतन से है, मानव जनम धरती पे रे, कुछ कर दिखाओ आज ही, फिर वक्त न मिल पाएंगे। चाहे आंधी या तूफान हो, अटकी पड़ी तेरी जान हो, बढ़ते रहो मंजिल तरफ, सारे फासले मिट जायँगे। दिन में धधकती गर्मी हो, या रात का अंधियारा हो, तू निडर भयभीत न होना, सारे रास्ते मिल जाएंगे। कुछ कर दिखाने की मोहलत, मिली है इष्ट देव से जो , ऐसा जलवा करतब दिखा, सब देखते रह जाएंगे। हे वीर मेरे भारत के, नमन तुम्हे इस भक्त का, हम प्यार बहुत करते है दुआएँ भर भर दे जायँगे।।।। शैल.... गोरखपुरी..
निगल जाते अजगर की तरह तो शायद दर्द न होता प्यारे,, पर दीमक बन जो ढाहा है कहर वो कमर तोड़ गई इस देश की, कुतर कुतर कर धीरे धीरे मीठा जहर बन पान कराया, गंगा जी बोल बोल कर तूने दरिया में स्नान करवाया, चुपड़ी घी से रोटी छीन कर मासूम का किया दीवाला हे दीमक तूने इस धरती की, क्या हालत कर डाला , बाहर से हरा भरा है, देश मेरा खुशहाल है, अंदर पीड़ा अवसाद भरा है दीमक जी का जंजाल है ।
परंपरा फ़फ़क कर रो पड़ी देख बाप के लाश को, मुखाग्नि मैं ही दूंगी कैसे कहे समाज को, मैं बाबुल की सबसे प्रिय थी जानते है सभी, तोड़ दुं कैसे वादे अटूट से विस्वाश को , कैसी परंपरा है ये ईश्वर ने तो बनाई नही, हमें किसी ने माना नही कैसे मानू इस रिवाज़ को, मैं बेटी मैं ही बेटा मैं ही सब कुछ थी उनके लिए, कैसे कोई छीन लेगा हक है जिनके लिए, अब मैं सुनूँगी सिर्फ मेरे अपने एहसास को, पोटली में बांध दूंगी मिल रहे इस परिहास को, क्या कमी है मुझमें जो काबिल नही परंपरा के, सभी रश्में निभादूँगी बन बेटा इस समाज को, क्यो मौन हो बोलो समाज क्या कुछ गलत कही है, मेरे भी बच्चे है क्या मुझमें समझ नही है, उठाने दो कंधे पर इतनी भी कमजोर नही, बाप है मेरे मैं बेटी हु कोई और नही,
आग धधकती रहनी चाहिए दिलों में सभी के,, भावना बदले की रहनी चाहिए दिलो में सभी के। तेरे तलवारों में जंग लग जायेगी बोल कब तक,। कुरुक्षेत्र बनती रहनी चाहिए दिलो में सभी के । बड़े खुश लग रहे हो लेकर फूल गुलाब का,,। भूल गए रोया था भारत या फिर बस वो ख्वाब था,,। बीज देशभक्ति की पनपती रहनी चाहिए दिलो में सभी के। कैसे सोई होगी मां जिसका लाल अमर हुआ,,। कितना तड़पा होगा पत्ती से अलग शज़र हुआ,,। ज्वाला भभकती रहनी चाहिए दिलो में सभी के। बहुत खुश था एक आंगन में खिलखिलाता परिवार हुआ था पुलवामा घटना रोया था पूरा भारत संसार आंसू सूखने नही चाहिए आंखों से सभी के। आग जलती रहनी चाहिए दिलो में सभी के ।। शैल गोरखपुर से
निगल जाते अजगर की तरह तो शायद दर्द न होता प्यारे,, पर दीमक बन जो ढाहा है कहर वो कमर तोड़ गई इस देश की, कुतर कुतर कर धीरे धीरे मीठा जहर बन पान कराया, गंगा जी बोल बोल कर तूने दरिया में स्नान करवाया, चुपड़ी घी से रोटी छीन कर मासूम का किया दीवाला हे दीमक तूने इस धरती का , क्या हालत कर डाला , बाहर से हरा भरा है, देश मेरा खुशहाल है, अंदर पीड़ा अवसाद भरा है दीमक जी का जंजाल है । शैल.. गोरखपुरी
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