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Sanjay Nayak Shilp

Sanjay Nayak Shilp Matrubharti Verified

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(32)

तुम्हारी तमाम नाराजगियों पर
मैं कोई शिलालेख नहीं बनवाऊंगा
ताकि रहती दुनिया तक
उनका जिक्र हो सके

तुम्हारी तमाम नाराजगियों को
मैं अंगूठी में जड़वा लूँगा
ताकि जब भी मेरे हाथ उठें
भगवान की प्रार्थना में
तब.....वो भी, मैं भी...
तुम्हारी नाराजगी को देखेंगे
कभी न कभी भगवान
उस अंगूठी पर रहम करेंगे

संजय नायक"शिल्प"

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जब तुम सुदूर उत्तर
की ठंडी पहाड़ियों पर
आत्मज्ञान की खोज कर रहे होवो
तब मैं रेगिस्तान में
एक अनन्त सफर पर
पानी की खोज में रहूंगा

वो पानी जो उत्तर के
पहाड़ों पर जम गया है
जो कि पिघल नहीं सकता
जो कि बहती नदियों तक
रेगिस्तान की रूह को
ठंडक दे सके

तुम जब उत्तर के
मैदानी इलाकों में
पीले गुल तूर के फूल देखोगी
सेब, लीची, बादाम अखरोट
केशर छू रहे होवोगी

देवदार,
विलो और साइडर के
गोल घेरे को बाहों में न भर सकोगी
और इनकी ऊंचाई देखने पर
गिर जाएगा सर से दुपट्टा

उस वक़्त मैं रेगिस्तान में
खोजता फिर रहा होंउंगा
किसी खेजड़ी का पेड़
क्योंकि
सूरज केवल मेरी खोपड़ी नहीं तपा रहा
मेरे पाँव भी जल रहे होंगे
क्योंकि सारी नमी वाली मिट्टी
तुम्हारे उत्तर ने ले ली है

जब तुम किसी गुफा में
बैठकर शाम्भवी मुद्रा में लीन होवोगी
अपनी अधखुली आंखों के मध्य
तीसरे नेत्र पर भाव केंद्रित करोगी
और किसी बहते झरने की कलकल से
अपने भटकते ध्यान को
एकत्रित कर रही होवोगी

उस वक़्त मेरे माथे से
चुहकर खारा पसीना
मेरी आँखों में घुसकर
आँखों में चिरमिराहट लगा देगा
तब तुम मुझे सोचना
जैसे मैं तुम्हें सोच रहा हूं
तब तुम पूछना प्रभु से

कि क्यों सारी धरती
सारे लोग, सारे धर्म
सारी जातियाँ
गोरे काले, नाटे लंबे
सभी स्त्री पुरुष
सभी के लाल रक्त की तरह
सब एक जैसे क्यों नहीं बनाए
तुम जरूर पूछना
क्योंकि सुना है
सृष्टि का निर्माता
वो भगवान वहीं कहीं
उत्तर में रहता है

सुनो तुम उत्तर में हो
सभी प्रश्नों का उत्तर ले कर लौटना

संजय नायक "शिल्प"

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जब मैं रो रहा होऊं
तो तुम मेरे आँसूं देख
अपने आपको उदास न करना
न पोंछना मेरे अश्रू
बस...
तुम मेरे दिल पर हाथ रखना
धड़कनों का शोर सुनना
मेरी कांपती जिव्हा का प्रलाप सुनना
मेरे रोयें रोयें की कम्पन महसूस करना
तुम मेरी कनपटी के पास
चुह आये पसीने की गर्मी
महसूस करना
तुम मेरे दर्द से भरे होंठों को
बेबसी से
विकृत न होने देने के
संघर्ष को समझना
मेरे भर्राए गले में दबी हुई
चीख को सुनना, समझना
यदि ये सब
तुम महसूस न कर सको
तो निस्संदेह ……..हमने प्रेम नहीं किया

संजय नायक"शिल्प"

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यूँ तो मेरी झोली में कुछ भी तो नहीं
चंद ई एम आई
कुछ कर्ज, कुछ फर्ज
कुछ उलाहना
कुछ गुनाह हैं
टूटी हुई चप्पल
फटी हुई जेब....
पर उन सब में एक चीज और भी है
वो तेरा प्यार है
तेरे प्यार के होने से मुझे मेरी झोली
अब भारी नहीं लगती

संजय नायक"शिल्प"

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ये जानने में समय न लगा
कि तू मेरा नहीं है
ये मानने में समय लगेगा
कि तू मेरा नहीं है

संजय नायक"शिल्प"

कौन कहाँ मुड़ जाएगा इस जीवन के चौराहे पर
जब तक तुम थे साथ चले उतना जीवन अच्छा था

संजय नायक"शिल्प"

लड़के महज
प्रेमिकाओं से
ठुकरा दिये जाने से ही नहीं रोते
महज एक नम्बर से
सलेक्शन के न होने से भी रोते हैं

संजय नायक"शिल्प"

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तुम्हारी हर एक बात पर मैंने दस दस बार सोचा था, मुहब्बत कोई मिट्टी का खिलोना नहीं जिसे जब मन आया खेला और तोड़ दिया, ये वो डोर है जिससे सांसे जुड़ी हैं.....

संजय नायक"शिल्प" कहानी 'यू टर्न' का अंश

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एक तालाब
तालाब में मछली
तालाब में कांटा
मछली का मगर से बैर
मछली फँसी जानकर

एक मटकी
मटकी में आधा पानी
मटकी में पाप
मटकी में जहर
मटकी भरी जानकर

एक जंगल
एक हिरणी
जंगल में शिकारी
जंगल में शेर
हिरणी फँसी जानकर

एक बाग
एक कली
एक माली
एक भंवरा
कली खिली जानकर

एक दुनिया
एक आत्मा
एक मौत
एक दुनियादारी
आत्मा मरी जानकर

एक शहर
एक लड़की
एक लड़का
एक घर का
लड़की फँसी जानकर

संजय नायक"शिल्प"

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"हम मिलेंगे तुमने क्या सोचा है
इस मुलाकात के जानिब...??"

"यही कि किसी बेंच पर,
जो लगाई हो अंग्रेजी हुकूमत ने
जिसकी पुश्तें ढलाई वाली लोहे से बनाईं हों
उसके पास उगा हो एक जामुन का पेड़,
उसके ऊपर एक तोते का जोड़ा बैठकर,
एक जामुन को बाँटकर खा रहा हो
उसी बेंच पर हम तुम बैठकर
आधी आधी कैडबरी चॉकलेट खाएं"

"और न मिल पाये तो....?
फिर तुमने क्या सोचा...??"

"यही कि उसी बेंच पर
जो अंग्रेजी हुकूमत ने लगाई थी
ढलाई के लोहे वाली घुमावदार पुश्त पर हाथ टिकाए
जामुन के पेड़ पर फल लगने का मौसम हो न हो
तोतों के लिए मौसमी फल लाता रहूंगा
और पास में कूदती फांदती
गिलहरियों को कैडबरी चॉकलेट खिलाऊँगा😊"

"ओह....!!! पर मैं अब नहीं आ पाऊंगी😢
भगवान करे तोते और गिलहरियाँ आती रहें
ताकि याद आती रहूं मैं......."

संजय नायक"शिल्प"

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