The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
मुझे पागलो वाला प्यार नहीं, शिद्दत वाला इश्क चाहिए सात जन्मों के बंधन नहीं, आज तेरा साथ चाहिए... मुझे जूठे वो तोहफे पसंद नहीं, तेरा कीमती वक्त चाहिए जिंदगी भर का सहारा नहीं, तेरे पल दो पल मेरे नाम चाहिए... सपनों पे मुझे यकीन नहीं , मुझे तु हकीकत में चाहिए शब्दों के रुप में नहीं, मुझे तू अर्थ की गहराई में चाहिए... मुझे खुला आसमां नहीं, तेरी नजरो की कैद चाहिए तेरी हा में हा नहीं , तेरी ना की जिद चाहिए... मुझे तेरे दो़ दिन का शरीर नहीं, तेरी रुहानी रुह चाहिए तुझे खुशियां नहीं, रो सकू ऐसी गोद चाहिए... मुझे जीने का कोई मोह नहीं, पर जीने वजह तू चाहिए मेरी मंजिल भले तू न हो , उसका रास्ता मुझे तू चाहिए...
વરસાદી સુંગધ ને પેલે પાર કોઈ રોતું હશે થંભી જા ઓ વાદળ કોઈ મારી રાહ જોતું હશે..
तुमको तेरी अब शादी मुबारक मुझको मेरी बर्बादी मुबारक मुझको मिले सहरा या बंजर तुमको फूलों की वादी मुबारक मैं बन जाऊँ आवारा पागल तु बने कोई शहजादी मुबारक अब रहूँ मैं तन्हा बंद कमरे में तुमको तेरी आज़ादी मुबारक
कुछ लोग जिंदगी होते है, पर जिंदगी में नही होते ।। SD ❤️🩹🥀
महेफील लगी थी बद्दुआ की...! हमने भी कहा खुदा करे उसे इश्क हो....!!
बड़े भाई के लिए कुछ लाइन। यूं तो लिखा बहुत है हर किसी पे, मगर तेरे किरदार आगे कलम कुछबेजुबान सी है, काबिल तो मैं 'लक्ष्मण' सा भी नहीं, पर मेरे जीवन का तो 'राम' तू ही है।
વરસતા વરસાદમાં તું સાથે હોય તો કેવું....? વરસાદને પણ લાગે, કંઈક વરસ્યા જેવું.... SD 🌧️💞
जब इंसाँ डूब जाता है ग़म-ए-यार में फ़िर कुछ रखा नहीं होता मौसम-ए-बाहर में लड़कियां बदल लेती हैं नज़रे और प्यार भी लड़के नम्बर तक नहीं बदलते इंतिज़ार में बस उसके सिवा मेरे पास आ जाते हैं सभी कुछ कमियाँ ही होंगी इस दिल के पुकार में कोई आशिक़ था जो अब शायर बन बैठा ये खबर भी छपवा देना कभी अखबार में जीतने वालों ने फ़क़त जीतना ही सीखा है पर ज़िंदगी ज़्यादा सिखाती है इश्क़-ए-हार में कोई बे-कोशिश ही उसे हासिल कर जाएगा मैंने जान तक लुटा दी है जिसके प्यार में
परेशानी ये नही की दिन बुरे चल रहे है। मसला ये हे के दिन भी जवानी के है।।
चल तेरी दुनिया से कही दूर चले जाते है,, अपनो की महफ़िल में खुद को अजनबी बताते हैं... जितने भी जतन,किए तेरे दिल में खुद के लिए जगह बनाने को, जरा सा लापरवाह होके बेवफा हो जाते हैं... और .... ये जो हर दफा उठाते हैं सवाल हमारे किरदार पर माही,वो दूसरे हमारी वफा देखने ही क्यों आते हैं.. हमे पता है इस गुस्ताख़ दिल का कसूर क्या है फिर क्यों हर बार वो नजरो से गिरने का एहसास कराते है... मलाल इतना सा है मेरी कोशिश नाकाम रही तेरी मोहब्बत में ,, फिर अब कहाँ हम किसी से इश्क फरमाते है...!
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser