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Rohit Mishra

Rohit Mishra

@rohitmishra4322


कोई भी चीज पहले कहानी नही होती,
हर चीज़ की अमिट निशानी नही होती।
खून जलाना पड़ता है,तब जा के बनते हैं,
यूँ ही दुनिया हर किसी की दीवानी नही होती।

-रोहित मिश्रा

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ये काली घनी रात कब तक होगी,
खुद ही खुद से बात कब तक होगी।
फैसला लेना अब बहुत जरूरी है,
आखिर ये जिंदगी बर्बाद कब तक होगी।

-रोहित मिश्रा

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मेरी आँखों के सामने
जुल्म होता है
मैं क्या करता हूँ
मैं कुछ नहीं करता
मैं इंतज़ार करता हूँ
कि कभी कुछ करूँगा
या इंतज़ार करता हूँ
कि कोई कुछ करेगा।

-रोहित मिश्रा

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ये जो उड़ रहा हूँ मैं,
खुदी से मुड़ रहा हूँ मैं
क्या ये इशारा है कि
तुझसे जुड़ रहा हूँ मैं।

-रोहित मिश्रा

#शुक्रगुज़र

कितनी भी दुःख की रातें हो, जब याद तुम्हारी आती है,
सारे गम मिट जाते है, जब सौगात तुम्हारी आती है।
भटका हूँ जब-जब मैं, दुनिया के चक्कर मे पड़कर,
पथ खुद प्रशस्त होते हैं, जब आवाज़ तुम्हारी आती है।

क्या जादू है,क्या टोना है,क्या किस्मत है,क्या रहमत है,
ये धरती, अम्बर, मिट्टी, पानी, सारे तुझसे सहमत है।
चंदा जिसके एक इशारे पर निकले,फिर ढल जाए,
सूरज को जो आँख दिखा दे, इतनी उसमे हिम्मत है।

अंधकार में भरे उजाला, और जीवन आबाद करे,
जन्म-मरण के फेरे से जो दुनिया को आजाद करे।
शुक्रगुज़र है हम तेरे , इतनी सुंदर दुनिया पाकर,
धन्य धन्य जीवन हम सब का, निशदिन तुझको याद करें।

-रोहित मिश्रा

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बड़ी उलझन में हूँ मैं, तेरी बातें, ये तेरा वादा क्या है,
तू साफ-साफ क्यों नही कहती, तेरा इरादा क्या है!
आधा सच आधा झूठ, ये बनावटी पहेलियाँ क्यो,
जो कहना है खुल के कह, इसमे आधा-आधा क्या है!
अजीब शिकायत है तेरी कि इश्क़ में कमी आ गयी है,
मोहब्बत की है तुझसे, इसमे कम और ज्यादा क्या है!

-रोहित मिश्रा

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जमीं की धूल हूँ मैं, तुम आसमाँ का सितारा हो
दबी कुचली-सी आवाज हूँ मैं, तुम बुलंद नारा हो।
बहुत मुश्किल है तुम्हारा और हमारा साथ होना
लकीर का एक छोर हूँ मैं, तुम दूसरा किनारा हो।

-रोहित मिश्रा

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#सजावटी

मुझे पसंद नही, बड़ी बड़ी चीज़ों के बनावटी चोचले,
बाहर से दिखते है सुंदर लेकिन अंदर से होते हैं खोखले।
मुझे पसंद है लम्हों की असलियत की अहमियत,
और यही है मेरी जिंदगी की असली मिलकियत।

-रोहित मिश्रा

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ये अजीब नफरत की दीवारें देखीं है,
आटे के लिए रिश्तों में दरारे देखीं है।
प्रेम खुशी अपनापन सब कहीं खो गया
एक दूसरे के लिए दिल मे अंगारे देखीं है।

-रोहित मिश्रा

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जान नही है इनमें, हमको जान फुँकनी है,
सन्नाटे के सैलाबों में तूफान फुँकनी है।
चहक चिटोरी दुनिया मे बदहोश हुआ ये दिल है,
करता हूँ क्या पता नही पर दूर बड़ी मंजिल है।
उठ कर सोना सो कर उठना नित्यक्रिया कहलाता है,
इसमे घूँटना, घूंट कर मरना शहर हमें सिखलाता है।

-रोहित मिश्रा

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