जान नही है इनमें, हमको जान फुँकनी है,
सन्नाटे के सैलाबों में तूफान फुँकनी है।
चहक चिटोरी दुनिया मे बदहोश हुआ ये दिल है,
करता हूँ क्या पता नही पर दूर बड़ी मंजिल है।
उठ कर सोना सो कर उठना नित्यक्रिया कहलाता है,
इसमे घूँटना, घूंट कर मरना शहर हमें सिखलाता है।
-रोहित मिश्रा