Quotes by Rohit Kishore in Bitesapp read free

Rohit Kishore

Rohit Kishore

@rohitkishore
(3)

आसमान से कह दो के थोड़ा ऊंचा और हो जाए,
मेरे हौसलों की उड़ान शुरू होने को है ।।।

है एक सबसे खूबसूरत रिश्ता ,
जो रहता है अक्सर गुमशुदा ,
दुनिया माने मां को है,
पर हर मां के पीछे होता है पिता ।।

करते अपने हर सुख का बलिदान ,
हर दुख में लिखते अपना नाम ,
एक उफ्फ तक ना करते उम्र भर,
बनाते हर बाघ को गुलिस्तान ।।

अपने कर्तव्यों को जाने जो,
हर संकट में सबसे आगे जो,
है बस वो एक पिता ,
बनाए हर पत्थर को मोती जो ।।

जिसकी उंगली पकड़ चलना सीखे,
जिसके कंधे पे बैठ, दुनिया देखे,
आज देते है उनको एक उपहार ,
चलो मनाएं उनका त्योहार
चलो मनाएं उनका त्योहार ।।।

~ रोहित किशोर

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है कितना अकेला ये अकेलापन
है कितना वीरान ये अकेलापन
मैं हूं भले किसी महफिल में ,
मगर दिल में है फिर भी अकेलापन ।।

आते है जिंदगी में लोग बहुत
पसंद भी आते है लोग बहुत
चलने को तो है काफिले काफी
पर साथ रह जाता है अकेलापन ।।

है एक तलाश ये जिंदगी ,
है एक चिराग ये जिंदगी में ,
यहां चाहिए तो बस एक सच्चा दिल,
जो भर दे ये सारा अकेलापन ।

~ रोहित किशोर

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चलिए ले चले आपको 90s के दशक की यादों में , हमारे प्यारे से बचपन में ।।। प्रस्तुत है नई कविता "बचपन" 🙏🙏


कोई लौटा  दे  मेरे , वो  बचपन  के  दिन …
जब  जीते  थे  हर  लम्हा , पैसो  के  बिन …
बस  थी  खुशहाल  बातें , और  मतवाले  दिन ..
कोई  लौटा दे  मेरे  वो  बचपन  के  दिन ..

वो  गर्मी  की  छुट्टियों में  नानी  घर  जाना …
वो खुले  आसमान  में , छत  पे  जाके   सोना ..
वो  कुल्फी  के  ठेले  पे  सबसे  पहले  जाना ..
भुला  नहीं  हूँ  वो  एक  भी  दिन …, 
कोई लौटा दे मेरे  वो  बचपन  के  दिन ।।

वो  वीडियो  गेम  की  दुनिया  में  पूरा  दिन  गुज़ारना ,
वो  बारिश  के  मौसम  में  कागज़  की  नाव  चलाना  …
वो  शाम  होते  ही  पतंगों  से  पेंच  लड़ाना …
क्या  क्या  थी  यादें … क्या  क्या  थे  दिन .., 
कोई  लौटा  दे  मेरे वो  बचपन  के  दिन ।।

वो  स्कूल  न  जाने  के  बहाने  बनाना ..
वो  क्लास  बंक  करके , दोस्तों  संग  जाना ..
वो  गेम्स पीरियड का दिल-ओ-जान से इंतज़ार करना    ….
न  आएंगे  अब वो  नटखट  से  दिन …, 
कोई  लौटा  दे मेरे  वो  बचपन  के  दिन ..।।।

वो  शैतानी  करने  पे  माँ  से  मार  खाना ..
वो  पापा के आने  पे  डरके  छुप  जाना ..
वो  हर  छोटी  बात  पे  भाई  बेहेन  से  लड़ना ..
ले  आओ  न  वापस … वो  भीगे  हुए  दिन …, 
कोई  लौटा  दे  मेरे वो  बचपन  के  दिन ।।।

खो  गयी  अब  वो  यादें , खो  गया  वो  खज़ाना ..
कितनी  भी  कोशिश  करलो  न  आएगा  वो  ज़माना …
ले  आओ  न  वापस  मेरे  वो  खुशहाली  के  दिन …, 
कोई  लौटा  दे  मेरे वो  बचपन  के  दिन ….
कोई  लौटा  दे  मेरे वो  बचपन  के  दिन …।।।

 

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ये बात है उस शाम की , जिस शाम वो मेरे साथ थी
न जाने किसकी खता थी वो, या थी खता जज़्बात की,
 
कहने को थी बातें कई,
ज़ुबान पे कभी जो आती नहीं,
मगर जो देखा उसने मुझे , ठहर गया लम्हा वहीँ ।। 
 
थी एक क़यामत की शाम वो,
बारिश भी मेरे साथ थी ,
डर था वक़्त के साये का, के हो न जाये ये ओझल कहीं ।। 
 
कहने ही लगा था बात दिल की,
के पहले ज़ुबान उसकी खुली ,
भूल के वो सारे वादे, कह मुझे अलविदा चली !!
 
पूछना था चाहता , था फिर क्यों मुझसे वास्ता ,
पर देख उसके आंसुओं को, मिल गया था रास्ता !!
 
राहों को अब भी तकता हूँ ,
मिल जाये जो मुझको फिर कहीं ,
लेकिन ये जानता हूँ , इस सच को मानता  हूँ
यादों में रहने वाले, वापस कभी आते नहीं।।
यादों में रहने वाले , वापस कभी आते नहीं।।
 
 
~ रोहित किशोर

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जानता हु फ़िज़ा ठीक नहीं
गुम  हौसलों का शोर है
घबराने की ज़रूरत नहीं,
ये कुछ पल का ही भोर है ।।
 
उम्मीदों का चिराग जलाये रखना
आशाओं की मशाल बुझने न देना
हम जीत फिरसे जाएंगे
खुद का खुद से ये वादा रखना ।।
 
ये जो ग़म के साये है
हम सबको ही तो बांटे है
बस तुम थोड़ा ठहरे रहना
आने को फिर से धुप है ।।
 
तुम मिल जुल के ही रहना
क्युकी साथ ही सबसे ख़ास है
जब खुदा लगने लगे है दूर
तब अपनों का ही आस है ।।
 
फिर आएंगे वापस वो गलियारे
जिसमे न थे कभी हम हारे
आज थोड़ी हिम्मत और रख ले
मिट जाएंगे अपने ग़म सारे ।।

~ रोहित किशोर

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बसी है तू मुझमें कुछ इस कदर,
के डरता हूं खुद को खोने से कहीं तुझको भी न खो दूं ।।

रोहित किशोर