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Puneet Mishra

Puneet Mishra

@puneetmishra3727


पेड़ ने आसरा दिया,
कि चिड़िया बना ले उस पर अपना घोंसला।

लेकिन चिड़िया को याद रखना होगा—
पेड़ ने साँप को भी पनाह दी हुई है,
और चढ़ जाते हैं उस पर कभी-कभी बंदर भी।

गिद्धों की नज़र
परिन्दों के आसियाने पर है ही,
और,
यूँ ही चला देता है कोई बचपन
दरख़्त पर पत्थर।

हवाएँ भी ला देती हैं
भूकंप पक्षियों के मकानों में।

फिर भी—
चिड़िया हर बार तिनके जोड़ती है,
क्योंकि जीवन का सच यही है
कि खतरे सदा रहेंगे,
पर उम्मीद का घोंसला
फिर भी बनाना होगा।

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फूलों की राह छोड़ वो काँटों में जा बसा,
वो शख़्स मेरे प्यार के क़ाबिल नहीं रहा।

दिल की किताब से मैं मिटा आया हूँ उसे,
यादों में उसका अब कोई हासिल नहीं रहा।

ख़्वाबों के जिस नगर में हुआ करता था वो,
अब उस जगह का कोई भी शामिल नहीं रहा।

राहें बदल गईं हैं, वही मोड़ रह गए,
साथी कभी जो था, वो हमदिल नहीं रहा।

वो हँस के छोड़ गया था सभी रिश्तों का सफ़र,
दिल में मगर वो दर्द का हासिल नहीं रहा।

निगाह से उतार चुका हूँ मैं उसको अब,
वो शख़्स अब तो प्यार के क़ाबिल नहीं रहा।

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