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प्रिया...

प्रिया...

@pg7874
(40)

बाते तो करती है बडी बडी मगर,
तारीफे  वो, खुद की ही सूनते है,,
रिश्तेदारी हो या कारोबरी,
मूनाफा ही वो चुनते है,,

अपना-पराया कुछ न दिखता,
खुदगर्जी पर रिश्ते यहां बनते हैं,,
स्वार्थ साधा,अपना हुआ पराया,
मिनटों में सदीयो के रिश्ते यहां बिगडते हैं,,

भावनाओ का हुआ कबाडा,
रिश्तो की ट्रेन,परिवार की पटरी पर से फिसल रही,,
परिवार टुटेगा तो घर भी बिखरेगा,
रिश्तेदारी फिलहाल स्वार्थ में ही घुसल रही!...

-प्रिया...

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माना हजर जवाबी नही हम,
अंदाज शायराना जरूर रखते है,
ईश्क भले हो सदियो पुराना हमारा,
मोहंबत पर उतना ही गुरुर,आज भी करते हैं..

-प्रिया...

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       किसी ने चाहा किसी को ,
                        अरमानों  के  शिददत से,
        उसने भी चाहा किसीं ओर को,
                        खुदगर्जी के मकसद से!.....

-प्रिया...

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कहते है,मरने के बाद ही,
जन्नत नसिब होती है,,
इसलिए,सच्ची मोहंबत भी तो,
हासिल कहां होती है?.....💔

      

-प्रिया...

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वो नंबर किस काम का,
जो डायल ना हो सके,
वो सनम किस काम का,
जो दर्द-ए-दिल ना जान सके...🍁

         

-प्रिया...

😢 न जाने हम कैसे जीते है!....😢

अपमान का कडवा घुंट हर रोज हम पिते है,
फिर भी नई सुबह की इंतजार में हर रोज जीते है,

घने अंधकार में सूरज की किरन ढूढते हैं,
आंसू को आखों में छिपाकर, मुसकुराहट ओठो पर लाते है,

अपनो के बीच,अजनबी बने घुमते है,
फिर भी सब पे, प्यार बरसाते फिरते है,

सोचते है,दर्द भरा लिखनेवाला गालिब कहलता हैं,
उसी के लब्जो में, न जाने कितना दर्द छिपता है,

भाग्य का मजाक हम हर रोज सहते है,
भाग्योदय होगा कभी यही सोच के जीते है!....


न जाने हम कैसे जीते है!....
न जाने हम कैसे जीते है!....

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ना मिला सरेआम बाजार में....

सबकुछ मिला जिंदगी में,
एक सच्चा दिलदार ना मिला,
गम सारे छिनके मेरे,खुशी दे जाये,
ऐसा खरीददार ना मिला,,

online मोहंबत के बाजार में,
breakup वाला कायर तो मिला,
लिख दे मुझपर बस शायरिया,
ऐसा मेरा आशिक शायर न मिला,,

दिल के बदले गम-ए-दिल ले जाये,
ऐसा दिलदार न मिला,
प्यार का गम चंद शब्दो में लिखकर खत्म करे,
ऐसा गझलकार ना मिला,

खरीदने चले थे, कुछ प्यार के पल,
शायद वो वक्त हमें ना मिला,
दिल के दर्द को ना समझ सके,
ऐसा मेहबूब सक्त हमें मिला,,

सोचा,सच्ची दोस्ती करले,
कभी सच्चा दोस्त ना मिला,,
अपनी अहमियत जाहीर हो सके,
ऐसा पोस्ट हमें ना मिला,,

-प्रिया...

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जिंदगीभर रुठने का,
            शौक तेरा अच्छा है,
मोहंबत छुपाने का,
             बहाना मगर सच्चा है!... 

                

-प्रिया...

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जिम्मेदरीयां अब शरीर को,ढोए जा रही है,
आत्मा जैसे थकान से,रोए जा रही है,

मुश्किलो भरा जिंदगी का ये सफर,
एक ठेहेराव की गुजारीश,ये किए जा रही है,,

थकावट भुलाकर मुस्कुराना है तुझे,
डटकर आगे बढ,ये बताए जा रही है,,

अच्छी यादों को समेट,प्रेरणा बन उभर,
मुश्किलो को दे पछाड,ये समझाए जा रही है,,

जिंदगी जैसे हर घडी इम्तिहान लिए जा रही है,
हर पल मानो कुछ सिखाए जा रही है...

-प्रिया...

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कभी अपने कभी पराये.(2)....

अपनो को खुद का दिल निकालकर दिया,
तो भी वो पत्थर लगता हैं,
गैरो को तो अपना दिया पत्थर भी,
सोने से कम ना लगता हैं!....

अपने तो परदे रखते हैं कभी,
गिला-शिकवा मन में रखते हैं,,
गैर से ना गिले होते न शिकवे,
इसलीये मन ये साफ रखते हैं!......

अपने तो छोटीसी भूल भी,
गलती समझ लेते हैं,
पराये भूल को भी,
भूल समझकर भूल जाते हैं!....

-प्रिया...

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